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Monday, April 28, 2025
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शिशुओं के के लिए क्या है सही डाइट, अच्छे स्वास्थ के लिए किन बातों का रखें ध्यान

शिशु के जन्म के बाद पहले 1000 महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान उसके पोषण का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. 8 से 23 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा चलाया जा रहा है. इसमें माताओं को बताया जा रहा है कि शिशुओं के आहार में क्या शामिल करना चाहिए.

शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार शिशुओं के पोषण पर ध्यान दे रही है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से पोषण पखवाड़ा भी संचालित किया जा रहा है. 8 से 23 अप्रैल तक चलने वाले इस पोषण पखवाड़े में माताओं को बताया जा रहा है कि शिशुओं के आहार में क्या शामिल करना चाहिए. शिशुओं के पोषण और उनके विकास में कौन से आहार सहायक होते हैं और कौन से आहार उनके लिए नुकसानदायक होते हैं. इसके बारे में बताया जा रहा है.

पोषण पखवाड़े की थीम मां और नवजात शिशु को पोषण देना रखी गई है. गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के साथ ही उनकी मां की सेहत पूरी जानकारी जुटाई जा रही है. उनका नियमित हेल्थ चेकअप किया जा रहा है. शिशुओं के लिए 1000 दिन का टारगेट फिक्स किया गया है. इन दिनों में शिशुओं को ऐसा आहार देने की सलाह दी जाती है, जिससे वह स्वस्थ रहें और उनका विकास भी बाधित न हो.

1000 दिन ही क्यों

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना बताती हैं कि शिशु के जन्म के बाद पहले 1000 महत्वपूर्ण होते हैं. इस समय में शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है. ऐसे में शिशुओं को पोषक तत्व दिए जाने चाहिए. इन्हीं 1000 दिनों में शिशुओं की सीखने की क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और उनके संपूर्ण स्वास्थ्य की नींव रखी जाती है. इसलिए बेहतर पोषण और माता-पिता के प्यार, देखभाल के साथ प्रारंभिक शिक्षा के अनुभव जरूरी होते हैं. इस दौरान बच्चे को सही पोषण और देखभाल मिले तोवह एक स्वस्थ, बुद्धिमान और खुशहाल व्यक्ति बन सकता है.

खराब पोषण से क्या होता है

शिशु को शुरु से ही पोषक तत्व दिए जाने चाहिए. यदि वह कम पोषक तत्व लेता या खराब डाइट लेता है तो उसका शारीरिक और मानसिक विकास धीमा हो जाता है. शिशु में विटामिन ए की कमी हो सकती है. सही आहार नहीं लेने के कारण शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो सकती है. इससे उसकी आंखेंकमजोर हो सकती हैं और बच्चा कई सामान्यबीमारियोंकी चपेट में आ सकता है. यह शिशु की सेहत और उसके विकास के लिए अच्छा नहीं है.

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