धार्मिक | कालाष्टमी का पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष पूजा और व्रत रखने से जीवन के समस्त कष्ट, शत्रु बाधा और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। जो लोग अपने जीवन में बार-बार आने वाली परेशानियों से बचना चाहते हैं, उन्हें इस दिन भगवान भैरव की आराधना करनी चाहिए। कालाष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त तारीख: 30 मार्च 2025, रविवार अष्टमी तिथि प्रारंभ: 30 मार्च, सुबह 04:15 बजे अष्टमी तिथि समाप्त: 31 मार्च, सुबह 02:45 बजे पूजा का शुभ समय: रात्रि 12:00 बजे के बाद
अगर जीवन में कोई बाधा या नकारात्मक प्रभाव है, तो कालाष्टमी के दिन इन उपायों को करने से लाभ मिलेगा— काल भैरव की पूजा काले तिल, काले कपड़े और काले रंग के फूल अर्पित करें। नारियल और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। भगवान भैरव को इमरती और मदिरा का भोग लगाएं (यदि मंदिर में अनुमति हो)। भैरव मंत्र का जाप “ॐ कालभैरवाय नमः” का 108 बार जाप करें। यदि शत्रु बाधा से परेशान हैं तो “ॐ भ्रं भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
भैरव चालिसा और स्तोत्र का पाठ काल भैरव अष्टक और भैरव चालीसा का पाठ करें। रात्रि में भैरव मंदिर जाकर दर्शन करें। कुत्ते को भोजन कराएं कुत्ते को गुड़ और रोटी खिलाना शुभ माना जाता है। भगवान भैरव का वाहन कुत्ता है, इसलिए उन्हें भोजन देने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। संकट से बचाव के लिए उपाय घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। काले उड़द, सरसों और कोयला जल में प्रवाहित करें। जरूरतमंद को कंबल या काले वस्त्र दान करें।
कालाष्टमी का महत्व जीवन में शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है। न्याय और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। भगवान भैरव की कृपा से कानूनी विवादों और अनावश्यक डर से छुटकारा मिलता है। राहु और शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाले सभी संकटों का नाश होता है।