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Sunday, July 13, 2025
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सावन में घर ला रहे हैं शिवलिंग? जानें स्थापित करने की सही विधि और नियम

सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है. इस दौरान भक्तगण व्रत, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और विशेष पूजा करते हैं. कई श्रद्धालु इस माह में अपने घर में शिवलिंग स्थापित करने का संकल्प लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग को घर में स्थापित करने के कुछ खास नियम भी होते हैं.

 सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित है. इस दौरान शिव भक्त उनकी कृपा पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं. इनमें से एक मुख्य उपाय है घर में शिवलिंग स्थापित करना. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग स्थापित करने के कुछ विशेष नियम और विधियां हैं, जिनका पालन करना बहुत ही आवश्यक है? अगर आप भी इस सावन अपने घर शिवलिंग लाने का विचार कर रहे हैं, तो इन नियमों और विधियों को जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है.

शिवलिंग स्थापित करने का महत्व

घर में शिवलिंग की स्थापना से न केवल धार्मिक लाभ मिलते हैं, बल्कि यह घर में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. शिवलिंग विभिन्न धातुओं, पत्थरों और स्फटिकों से बने होते हैं. घर में स्थापित करने के लिए किसी भी शिवलिंग का चुनाव कर सकते हैं.

पार्थिव शिवलिंग: मिट्टी से बने ये शिवलिंग बहुत ही शुभ माने जाते हैं और इनका निर्माण सावन में विशेष रूप से किया जाता है. इनकी पूजा कर विसर्जन कर दिया जाता है.

पारद शिवलिंग: पारद शिवलिंग को बहुत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है. यह सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है.

स्फटिक शिवलिंग: स्फटिक शिवलिंग की पूजा करने से मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है. यह बहुत शुभ फलदायी होता है.

धातु शिवलिंग: पीतल, तांबे या अन्य धातुओं से बने शिवलिंग भी घर में स्थापित किए जा सकते हैं.

ध्यान रहे कि घर में स्थापित करने के लिए बहुत बड़े शिवलिंग का चुनाव न करें. अंगूठे के ऊपरी पोर के आकार का शिवलिंग सबसे उपयुक्त माना जाता है. साथ ही घर में एक से अधिक शिवलिंग स्थापित करने से बचें.

शिवलिंग स्थापित करने की सही दिशा

उत्तर दिशा: शिवलिंग को हमेशा घर के उत्तर-पूर्वी कोण (ईशान कोण) में स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है. यह कोण देवताओं का वास स्थान माना जाता है.

अभिमुखता: शिवलिंग का मुख (जलहरी का मुख) उत्तर दिशा में होना चाहिए, ताकि जलाभिषेक का जल उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित हो. भक्त को शिवलिंग का अभिषेक करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए.

शिवलिंग स्थापना की विधि

सबसे पहले घर में एक शांत और पवित्र स्थान का चुनाव करें जहाँ आप शिवलिंग स्थापित करना चाहते हैं. उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी या आसन रखें. चौकी पर लाल या पीले रंग का स्वच्छ वस्त्र बिछाएं. शिवलिंग को स्थापित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें. एक बात का ध्यान रखें कि जलहरी जिससे जल नीचे गिरता है उत्तर दिशा की ओर हो. शिवलिंग को स्थापित करने के बाद, उसकी प्राण प्रतिष्ठा करें. यदि आप खुद नहीं कर सकते हैं तो किसी योग्य पंडित से करवा सकते हैं.

शिवलिंग पूजा के नियम

नियमित अभिषेक: शिवलिंग का प्रतिदिन नियमित रूप से अभिषेक करना चाहिए. आप जल, दूध, दही, घी, शहद और गन्ने के रस से अभिषेक कर सकते हैं.

साफ-सफाई: शिवलिंग और उसके आसपास के स्थान की नियमित साफ-सफाई रखें.

बेलपत्र और धतूरा: भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और शमी पत्र बहुतप्रिय हैं. इन्हें नियमित रूप से अर्पित करें.

प्रसाद: भगवान को भोग के रूप में फल, मिठाई या पंचामृत अर्पित कर सकते हैं.

मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप करें.

तुलसी वर्जित: भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

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