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Thursday, July 17, 2025
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“शिव पंचाक्षर मंत्र” का उच्चारण देता है मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति

ॐ नमः शिवाय’ – यह केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि शिव तत्व से सीधा जुड़ने का एक दिव्य माध्यम है। इस मंत्र को “शिव पंचाक्षर मंत्र” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पाँच अक्षर होते हैं – “न”, “म”, “शि”, “वा”, और “य”। इन अक्षरों में समाहित है सृष्टि के पाँच तत्व: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। माना जाता है कि इस मंत्र का जप जितनी श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जाए, उतनी ही शीघ्र इसका फल मिलता है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न आता है – शिव पंचाक्षर मंत्र का कितनी बार जाप करने से पूर्ण फल प्राप्त होता है?

मंत्र की महिमा और महत्व
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र को कालयुग का सबसे प्रभावशाली और सरल मंत्र माना गया है। यह न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आत्मा की शुद्धि, रोगों से मुक्ति, नकारात्मक ऊर्जा की शांति, और मोक्ष की ओर भी व्यक्ति को अग्रसर करता है। यह मंत्र सभी के लिए है – चाहे वह गृहस्थ हो, साधु हो या फिर किसी भी मत का अनुयायी।

जाप की संख्या और उसका महत्व
हिंदू धर्मशास्त्रों और तांत्रिक ग्रंथों में बताया गया है कि किसी भी मंत्र का असर उसकी नियत संख्या में जप और अनुशासन पर निर्भर करता है। शिव पंचाक्षर मंत्र के संबंध में विभिन्न मान्यताएं हैं, लेकिन सामान्य रूप मानी गई हैं:

  1. 108 बार जाप (एक माला)
    108 बार जाप करना सबसे सामान्य और प्रभावी अभ्यास है। यह संख्या ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संतुलन का प्रतीक मानी जाती है। प्रतिदिन 108 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने से मानसिक शांति, आत्मबल, और सकारात्मक सोच का विकास होता है।
  2. 1008 बार जाप (10 माला)
    किसी विशेष कामना या कठिन परिस्थिति में 1008 बार मंत्र का जाप किया जाता है। यह संख्या साधक के भीतर ऊर्जा को गहराई से जाग्रत करती है और शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. 1,25,000 बार जाप (अनुष्ठानिक पूर्णता)
    यदि आप शिव पंचाक्षर मंत्र का पूर्ण फल चाहते हैं तो 1,25,000 बार जाप करने की परंपरा है। इसे एक पूर्ण मंत्र साधना माना जाता है। इस संपूर्ण जप को पूरा करने के लिए कई दिनों तक अनुशासन, ब्रह्मचर्य और नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
  4. महा मृत्युंजय अनुष्ठान के साथ संयुक्त जाप
    कुछ साधक ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप महा मृत्युंजय मंत्र के साथ मिलाकर करते हैं। ऐसा करने से दीर्घायु, स्वास्थ्य, और भयमुक्त जीवन की प्राप्ति होती है।

जप कब और कैसे करें?
प्रातःकाल और संध्या समय जाप करने का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है।
शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहाँ ध्यान केंद्रित किया जा सके।
यदि संभव हो तो रुद्राक्ष की माला से जप करें, यह मंत्र की ऊर्जा को और अधिक सशक्त बनाती है।
जाप से पहले शिव जी को प्रणाम करें और उनका ध्यान करें।
अगर जलाभिषेक या रुद्राभिषेक के साथ जाप करें, तो फल और भी शीघ्र मिलता है।

जाप के दौरान किन बातों का रखें ध्यान?
जाप करते समय चेहरे पर शांत भाव और मन में श्रद्धा होनी चाहिए।
मंत्र का उच्चारण स्पष्ट, धीमा और लयबद्ध हो।
शुद्ध आहार, संयम और सकारात्मक विचार साधना के दौरान अनिवार्य हैं।
अगर संभव हो तो शिवरात्रि, सोमवार, या सावन मास के दिनों में विशेष जप करें।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
‘ॐ नमः शिवाय’ एक ऐसा मंत्र है, जिसकी ध्वनि तरंगें शरीर की कोशिकाओं पर प्रभाव डालती हैं। यह मंत्र न केवल मानसिक तनाव को कम करता है, बल्कि हृदय गति को सामान्य, रक्तचाप को संतुलित और नींद की गुणवत्ता में सुधार लाने में भी सहायक होता है। शोध बताते हैं कि नियमित जाप करने वालों में सकारात्मक ऊर्जा, सहनशक्ति और भावनात्मक संतुलन अधिक होता है।

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