राम नवमी क्यों मनाई जाती है? जानिए इसका महत्व और इतिहास
हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक राम नवमी हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन अयोध्या नरेश दशरथ और माता कौशल्या के घर भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में श्रीराम का जन्म हुआ था।
राम नवमी का धार्मिक महत्व
राम नवमी को धर्म, मर्यादा और सत्य की विजय के प्रतीक रूप में देखा जाता है। भगवान राम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा जाता है, जिन्होंने जीवनभर धर्म का पालन करते हुए आदर्श स्थापित किया। यही कारण है कि इस दिन व्रत-उपवास, भजन-कीर्तन, रामचरितमानस का पाठ और झांकियों का आयोजन किया जाता है।
अयोध्या में विशेष आयोजन
राम नवमी पर अयोध्या में विशेष आयोजन होते हैं। लाखों श्रद्धालु राम जन्मभूमि पर दर्शन करने पहुंचते हैं। शोभायात्राएं और धार्मिक अनुष्ठानों के जरिए भगवान राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों को जीवंत किया जाता है।
कैसे मनाई जाती है राम नवमी
- भक्त उपवास रखते हैं और मंदिरों में रामजी की पूजा करते हैं।
- घरों में श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाता है और कीर्तन होते हैं।
- कई स्थानों पर राम लीला का आयोजन होता है।
- राम जन्म के समय दोपहर 12 बजे विशेष आरती की जाती है।
निष्कर्ष
राम नवमी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह धर्म, आस्था और संस्कारों का प्रतीक है। यह दिन हमें सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।