आषाढ़ का महीना और एकादशी व्रत, दोनों भगवान विष्णु को अति प्रिय है, इसलिए आषाढ़ माह में पड़ने वाली एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर योगिनी एकादशी व्रत रखा जाता है. योगिनी एकादशी का व्रत निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले रखा जाता है. कहते हैं कि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि आती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि योगिनी एकादशी का व्रत क्यों करते हैं? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं योगिनी एकादशी व्रत का क्या महत्व है|
योगिनी एकादशी क्यों खास है: यूं तो हर महीने में दो बार एकादशी आती है और हर एकादशी खास होती है, लेकिन योगिनी एकादशी का विशेष महत्व माना गया है. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. योगिनी एकादशी का दिन पूर्ण रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जरूरतमंदों को अन्न-धन का दान करने और भगवान नारायण की पूजा करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है|
योगिनी एकादशी व्रत का क्या महत्व है: धार्मिक मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत करने से साधकों को कई प्रकार की मुश्किलों से राहत मिलती है. योगिनी एकादशी का महत्व नीचे बताया गया है|
पापों से मुक्ति:– योगिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं|
मोक्ष प्राप्ति:- योगिनी एकादशी व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है|
सुख-समृद्धि:- योगिनी एकादशी का व्रत रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है|
मनोकामनाओं की पूर्ति:– ऐसा माना जाता है कि योगिनी एकादशी व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है|