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Sunday, July 13, 2025
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मुंडन कब कराना चाहिए और कब नहीं, ग्रह-नक्षत्रों से क्या है कनेक्शन?

हिन्दू धर्म में मुंडन संस्कार बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसे धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर शुभ मुहूर्त में ही करवाना चाहिए, ताकि बच्चे को अधिकतम लाभ और आशीर्वाद प्राप्त हो सके. हमेशा किसी अनुभवी ज्योतिषी या पंडित से सलाह लेकर ही मुंडन का मुहूर्त निकलवाना सबसे उत्तम होता है.

हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार का बहुत अधिक महत्व होता है. मुंडन संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक अहम संस्कार है, जिसे ‘चौल कर्म’ के नाम से भी जाना जाता है. यह बच्चे के जन्म के बाद पहली बार बाल कटवाने की रस्म होती है. इसके पीछे धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक तीनों कारण होते हैं. मुंडन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त का निर्धारण बच्चे की जन्म कुंडली, तिथि, नक्षत्र, दिन और लग्न को देखकर किया जाता है. सामान्यतः कुछ शुभ योग इस प्रकार बनते हैं.

ऐसी मान्यता है कि आमतौर पर बच्चे के जन्म के पहले वर्ष के अंत में, या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष में मुंडन कराया जाता है. कुछ परंपराओं में लड़कियों का मुंडन दूसरे या चौथे साल में भी किया जाता है. वहीं अगर डॉक्टरों की मानें तो बच्चे की सिर की हड्डियां पूरी तरह से जुड़ने के बाद ही मुंडन कराना उचित होता है. जो आमतौर पर 6 महीने से डेढ़ साल के बीच होता है.

शुभ तिथियां और दिन

  • मुंडन संस्कार के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथि शुभ मानी जाती है और इन तिथियों में मुंडन संस्कार कराया जा सकता है.
  • सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को मुंडन कराना शुभ माना जाता है. हालांकि, शुक्रवार के दिन लड़कियों का मुंडन नहीं करना चाहिए.
  • अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठा, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र मुंडन संस्कार के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं.

राशि के अनुसार कब कराएं मुंडन?

  • जब सूर्य मेष, वृषभ, मिथुन, मकर और कुंभ राशि में हों, तब मुंडन कराना शुभ माना जाता है.
  • द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, षष्ठम, सप्तम, नवम या द्वादश राशियों के लग्न या इनके नवांश में मुंडन शुभ होते हैं.

कब नहीं कराना चाहिए मुंडन?

  1. चतुर्मास के दिनों में मुंडन जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, क्योंकि इस दौरान भगवान विष्णु शयन अवस्था में होते हैं.
  2. जन्म माह, अधिक मास (मलमास) और ज्येष्ठा पुत्र का ज्येष्ठ महीने में मुंडन कराना अशुभ माना जाता है.
  3. कुछ विद्वानों के अनुसार, जन्म नक्षत्र या जन्म राशि में मुंडन निषेध माना गया है. चंद्रमा के चतुर्थ, अष्टम, द्वादश और शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन निषेध माना गया है.
  4. यदि मां 5 महीने या उससे अधिक गर्भवती हो, तो बड़े लड़के का मुंडन नहीं कराना चाहिए. इन दिनों में मुंडन कराना आमतौर पर अशुभ माना जाता है.

ग्रह-नक्षत्रों से क्या है कनेक्शन?

  1. ज्योतिष में मुंडन संस्कार का विशेष महत्व है क्योंकि यह शिशु के ग्रह-नक्षत्रों पर पड़ने वाले प्रभावों को संतुलित करने में मदद करता है.
  2. मान्यता है कि शिशु के सिर पर मौजूद पहले बाल पिछले जन्म के कर्मों और नकारात्मक प्रभावों को दर्शाते हैं. मुंडन करके इन नकारात्मकताओं को दूर किया जाता है, जिससे शिशु को एक नई और शुद्ध शुरुआत मिलती है.
  3. शुभ मुहूर्त में मुंडन कराने से शिशु की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह शिशु के भविष्य में सुख-समृद्धि, बुद्धि और अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है.
  4. यह संस्कार बच्चे को बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से बचाने वाला माना जाता है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, मुंडन से मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे बच्चे का बौद्धिक विकास बेहतर होता है.

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