- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
सनातन धर्म में अनेक मंत्रों और स्तोत्रों का विशेष महत्व है, लेकिन जब बात आती है जीवन की रक्षा और लंबी आयु की, तो महामृत्युंजय मंत्र का नाम सबसे ऊपर आता है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसे “त्रयंबकम मंत्र” भी कहा जाता है। ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद—तीनों में इस मंत्र का उल्लेख मिलता है, जो इसकी महत्ता को और अधिक बढ़ा देता है। यह मंत्र न सिर्फ आध्यात्मिक बल देता है, बल्कि मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और दीर्घायु प्रदान करने वाला भी माना जाता है।
मंत्र का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व महामृत्युंजय मंत्र को उच्चारण करने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगें शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। यह मंत्र सीधे मस्तिष्क के उस हिस्से को सक्रिय करता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। इसे नियमित जपने से मानसिक तनाव, भय, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों से मुक्ति मिलती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह देखा गया है कि मंत्रोच्चारण से शरीर में कंपन उत्पन्न होते हैं जो मस्तिष्क को शांत और संतुलित करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप क्यों करें?
रोगों से मुक्ति के लिए: यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है या लगातार बीमार पड़ रहा है, तो इस मंत्र का नियमित जाप चमत्कारी लाभ दे सकता है।
कालसर्प दोष और ग्रह पीड़ा से राहत: ज्योतिष में भी महामृत्युंजय मंत्र का महत्व बताया गया है। यह मंत्र शनि, राहु, केतु या कालसर्प दोष से होने वाले प्रभावों को शांत करने में मदद करता है।
जीवन संकट से रक्षा: जीवन में जब भी किसी बड़ी विपत्ति या अकाल मृत्यु की आशंका हो, तब इस मंत्र का जाप सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
मनोबल और आत्मबल में वृद्धि: यह मंत्र न केवल शरीर को ठीक करता है, बल्कि मनोबल को भी बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति हर स्थिति का सामना आत्मविश्वास से कर सकता है।
जाप का सही समय
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का सबसे उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध, शांत और ऊर्जा से भरा होता है। यदि ब्रह्ममुहूर्त में जाप संभव न हो, तो सूर्योदय के बाद किसी भी शांत समय में इसे किया जा सकता है।
जाप के नियम–
शुद्धता का ध्यान रखें: जाप करने से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और शांत स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें: महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना अधिक प्रभावशाली माना गया है।
नियत संख्या में जाप करें: शुरुआत में प्रतिदिन 108 बार (1 माला) जाप करें। यदि किसी विशेष कार्य या रोग से मुक्ति हेतु कर रहे हैं, तो मंत्र का 11,000, 21,000 या 1,25,000 बार जाप संकल्पपूर्वक करें।
शुद्ध उच्चारण करें: मंत्र का सही उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण है। गलत उच्चारण से अपेक्षित फल नहीं मिलता।
शिवलिंग पर जल अर्पण करें: जाप के दौरान या बाद में शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, और दूध अर्पित करें, यह पुण्यफल को कई गुना बढ़ाता है।
भक्ति भाव बनाए रखें: केवल यांत्रिक रूप से मंत्र जपने से नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए जाप से ही वास्तविक लाभ प्राप्त होता है। विशेष उपाय यदि किसी परिवारजन को रोग या संकट हो, तो घर के सभी सदस्य सामूहिक रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जप कर सकते हैं। इसके साथ एक घी का दीपक प्रज्वलित करें और एक तांबे के पात्र में जल रखकर उसके ऊपर शिवलिंग का चित्र या प्रतिमा रखें। जप समाप्ति के बाद वह जल रोगी को पिलाएं — यह एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना गया है।