Total Users- 707,459

spot_img
spot_img

Total Users- 707,459

Tuesday, April 29, 2025
spot_img
spot_img

भगवान श्रीराम के जन्म का वह दिव्य समय जब सभी देवता आकाश में उपस्थित होकर स्तुति कर रहे थे

अग्निदेव महाराज दशरथ को खीर देकर अदृश्य हो गये। उसके बाद महाराज दशरथ ने अपनी रानियों को बुलाया और सबको यथायोग्य खीर का वितरण किया। अग्निदेव के द्वारा दिये गये प्रसाद के प्रभाव से कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी, तीनों रानियां गर्भवती हो गयीं। जिस दिन से भगवान कौशल्या के गर्भ में आये, उसी दिन से संपूर्ण लोकों की संपत्ति सिमट कर अयोध्या में आ गयी। चारों तरफ सुख और शांति का साम्राज्य छा गया। भगवान का अंश सुमित्रा और कैकेयी के गर्भ में भी आ चुका था। इसलिए सब रानियां शोभा, शील और तेज की खान दिखायी पड़ने लगीं।

आखिर प्रतीक्षा की घड़ी आ पहुंची। योग, लग्न, तिथि और वार सभी अनुकूल हो गये। चारों ओर प्रसन्नता ही प्रसन्नता दिखायी पड़ने लगी। क्योंकि चराचर जगत को सुख देने वाले भगवान श्रीराम के जन्म का वह दिव्य समय था। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। शीतल, मंद और सुगन्धित वायु बह रही थी। नदियां स्वच्छ हो गयीं। सभी देवता विमल आकाश में उपस्थित हो गये। गन्धर्व भगवान विष्णु का गुण गा रहे थे। देवता लोग हाथ जोड़कर भगवान की प्रार्थना कर रहे थे और आकाश से पुष्पों की वर्षा कर रहे थे। जब सभी देवता स्तुति करके अपने अपने धाम चले गये, तब अचानक कौशल्या जी का कक्ष दिव्य प्रकाश से भर गया। धीरे धीरे वह प्रकाश पुंज सिमटकर शंख, चक्र, गदा, पद्म और वनमाला से विभूषित भगवान विष्णु के रूप में आ गया। भगवान के इस अद्भुत रूप को कौशल्या अंबा देखती ही रही गयीं।

उनकी पलकें गिरने का नाम ही नहीं लेती थीं। बहुत देर तक मां प्रभु के इस दिव्य सौंदर्य को निहारती रहीं। फिर होश संभालकर तथा दोनों हाथ जोड़कर भगवान की स्तुति करती हुई कहने लगीं- हे मन, बुद्धि और इंदि्रयों से अतीत प्रभु, मैं आपकी किस तरह स्तुति करूं, यह मेरी समझ में नहीं आता। नेति नेति कहकर वेद आपके स्वरूप का प्रतिपादन करते हुए थक जाते हैं, फिर भी आपका पार नहीं पाते। मैं अबोध नारी भला आपकी क्या स्तुति कर सकती हूं। आप करुणा के समुद्र और गुणों के केंद्र हैं। यह आपकी परम कृपा है कि आप अपने भक्तों से अत्यन्त प्रेम करने वाले हैं और मेरे हित के लिए प्रकट हुए हैं। आज मैं आप के इस दिव्य स्वरूप को देखकर धन्य हो गयी। अब आप अपने इस दिव्य स्वरूप को समेट कर नवजात शिशु के रूप में आ जायें और मुझे अपनी बाल लीला का आनंद दें।

कौशल्या अंबा की विनती सुनकर प्रभु शिशु रूप में आ गये और अपने रुदन से महल को गुंजा दिया। फिर क्या था, दासियों के माध्यम से पूरी अयोध्या में कौशल्या अंबा को पुत्र होने का समाचार फैल गया। संपूर्ण अयोध्यावासी आनंद से झूम उठे। महाराज दशरथ तो पुत्र जन्म का समाचार सुनकर ब्रह्मानंद में मग्न हो गये। प्रेम के आवेग को रोकना उनके लिए कठिन हो रहा था। वे सोचने लगे कि जिन प्रभु के नाम स्मरण मात्र से विघ्नों का विनाश होता है और संपूर्ण शुभों की प्राप्ति होती है, वही मेरे यहां अवतरित हुए हैं। उन्होंने तुरंत सेवकों को बुलाकर बाजा बजवाने एवं गुरु वसिष्ठ को सादर बुलाने की आज्ञा दी। राजा का संदेश सुनकर वसिष्ठजी तुरंत चले आये और वेदविधि के अनुसार नांदीमुख-श्राद्ध तथा भगवान का जातकर्म संस्कार करवाया। कैकेयी जी की कोख से एक पुत्र तथा सुमित्रा को दो पुत्र पैदा हुए। नगर की वधूटियां अपने अपने सिर पर मंगल कलश लेकर गाती हुईं महाराज दशरथ के राज भवन में आयीं। महाराज दशरथ ने ब्राह्मणों को अनेकों प्रकार के दान देकर संतुष्ट किया। इस प्रकार आनन्दोत्सव और उल्लास में कुछ दिन बीत गये। गुरु वसिष्ठ ने समय पर चारों कुमारों का नामकरण संस्कार किया। उन्होंने कौशल्या के पुत्र का नाम राम, कैकेयी के पुत्र का भरत तथा सुमित्रा के पुत्रों का नाम लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखा।

spot_img

More Topics

पपीते का बीज, एंटी-एजिंग, झुर्रियों को नेचुकल तरीके से करेगा दूर

बढ़ती उम्र के साथ चेहरे पर रिंकल्स, ढीलापन दिखना...

दही भिंडी एक स्वादिष्ट और हल्की सब्ज़ी है जानें रेसिपी

दही भिंडी एक स्वादिष्ट और हल्की सब्ज़ी है जो...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े