Total Users- 1,025,586

spot_img

Total Users- 1,025,586

Saturday, June 21, 2025
spot_img

बैकुंठ चतुर्दशी : क्यों मनाते हैं, क्या है इसका धार्मिक महत्व और पूजा विधि

कर्तिक शुक्ल चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं. यह दिन बैकुंठाधिपति भगवान विष्णु और शिव जी को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन के अंत समय में उसे भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ में स्थान मिलता है. यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन को लेकर भक्तों का विश्वास है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा से विशेष कृपा प्राप्त होती है जिससे जीवन में सुख, समृद्धि आती है. मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की आराधना से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

बैकुंठ चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी व्रत का विशेष महात्म्य बताया गया है. बैकुंठ दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति एक हजार कमल के फूलों से श्रीहरि विष्णु का पूजन और शिवजी की पूजा-अर्चना करते हैं, वह भव-बंधनों से मुक्त होकर बैकुंठ धाम पाता है. ऐसी मान्यता है कि कमल से पूजा करने पर भगवान को समग्र आनंद प्राप्त होता है और भक्त को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. बैकुंठ चतुर्दशी को व्रत कर तारों की छांव में नदी के तट पर 14 दीपक जलाने चाहिए. बैकुंठाधिपति भगवान विष्णु को स्नान कराकर विधि-विधान से भगवान श्री विष्णु पूजा करनी चाहिए. साथ ही उन्हें तुलसी पत्ते अर्पित करते हुए भोग लगाना चाहिए.

बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

बैकुंठ चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से “बैकुंठ द्वार” खोला जाता है, जिससे यह माना जाता है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के दरवाजे (बैकुंठ द्वार) भक्तों के लिए खुलते हैं, जिससे वे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर सके और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो. बैकुंठ चतुर्दशी के दिन विशेष रूप से एकादशी व्रत का पालन किया जाता है, जिसमें उपवासी रहकर भगवान विष्णु की पूजा, भजन, कीर्तन और मंत्र जाप किया जाता है. यह व्रत भक्तों के जीवन से दुख, दरिद्रता, और पापों को समाप्त करने के लिए होता है.

बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल या मंदिर को साफ-सुथरा करके गंगाजल से छिड़काव करें. मंदिर में भगवान विष्णु और शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. पूजा की शुरुआत भगवान विष्णु के सुंदर नामों का स्मरण करके करें. जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें. भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराएं और फिर उन्हें फूल, बेलपत्र, तुलसी, चन्दन आदि अर्पित करें. भगवान विष्णु को पीले फूल और शिव जी को सफेद फूल अर्पित करें. ओम नमो भगवते वासुदेवाय और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. आखिर में बैकुंठ चतुर्दशी की व्रत कथा सुनना बहुत ही लाभकारी होता है. इसमें बताया जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु भक्तों की कठिनाइयों को दूर करके उन्हें मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं. पूजा के समापन पर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धा भाव से प्रार्थना करें.

spot_img

More Topics

इजरायल-ईरान युद्ध पर ‘भारत की चुप्पी’ पर सोनिया गांधी ने सवाल उठाये

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने ईरान और...

इसे भी पढ़े