धार्मिक | प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। हर महीने दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। चैत्र माह 2025 में प्रदोष व्रत का खास महत्व है क्योंकि यह शिवभक्तों के लिए शुभ फलदायक माना जाता है।
चैत्र मास में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण उपवास है, जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष, चैत्र माह के दोनों पक्षों में प्रदोष व्रत की तिथियां निम्नलिखित हैं:
- पहला प्रदोष व्रत (गुरु प्रदोष व्रत): 27 मार्च 2025, गुरुवार को रखा जाएगा। इस दिन त्रयोदशी तिथि का आरंभ 26 मार्च को रात 1:42 बजे होगा और समापन 27 मार्च को रात 11:03 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 6:36 बजे से रात 8:56 बजे तक रहेगा।
- दूसरा प्रदोष व्रत: 10 अप्रैल 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन त्रयोदशी तिथि का आरंभ 9 अप्रैल को रात 11:50 बजे होगा और समापन 10 अप्रैल को रात 8:30 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 6:42 बजे से रात 9:00 बजे तक रहेगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि:
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।
- भगवान शिव को जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
- बिल्वपत्र, धतूरा, आक के फूल, सफेद चंदन और भांग अर्पित करें
- शिव मंत्रों का जाप करें, जैसे ‘ॐ नमः शिवाय’ या महामृत्युंजय मंत्र।
- शाम के समय प्रदोष काल में पुनः भगवान शिव की पूजा करें और आरती उतारें।
- व्रतधारी दिनभर निराहार रहें और केवल फलाहार या जल ग्रहण करें।
प्रदोष व्रत के पालन से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो स्वास्थ्य, संतान सुख या आर्थिक समृद्धि की कामना रखते है।