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Thursday, July 17, 2025
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इन सूर्य मंदिरों के दर्शन से तेज, ऐश्वर्य और आरोग्य का मिलता है आशीर्वाद

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों में सूर्य को राजा की पदवी प्रदान की गई है। सूर्य की शुभता जिस भी जातक की कुंडली में हो, वह नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य आत्मा एवं पिता का प्रतिनिधित्व करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को देवता होने के साथ-साथ ग्रह भी माना गया है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार हिंदू धर्म में पंच देवता हैं, जिनमें गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, मां दुर्गा के साथ-साथ सूर्यदेव शामिल हैं। ऐसे में सूर्य ग्रह को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है।

सूर्य को आयु, रूप, आरोग्य और ऐश्वर्य देने वाला माना गया है। इसके साथ ही यह व्यक्तित्व, अधिकार, सामान्य स्वास्थ्य, सरकारी नौकरी, राजनीतिक पद आदि के प्रतीक हैं। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो उसके मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की हानि का दंश झेलना पड़ता है। इसके साथ ही ऐसे जातक के जीवन में ऊर्जा का भी अभाव साफ दिखता है। ऐसे जातक के चेहरे से तेज गायब होता है। साथ ही सूर्य कुंडली में अशुभ/खराब स्थिति में हो तो स्वास्थ्य समस्याएं, नौकरी की समस्याएं, आंखों की परेशानी, आत्मविश्वास में कमी आने के साथ भाग्य के क्षेत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव आरोग्य के देवता हैं।

अगर कोई भक्त किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो वह भगवान सूर्य के दर्शन कर अपने अच्छे स्वास्थ्य की मन्नत मांग सकता है। साथ ही, भगवान सूर्य देव भक्तों के सभी पाप भी हर लेते हैं। ऐसे में भारत में सूर्य मंदिर काफी संख्या में मौजूद हैं जहां जाकर दर्शन करने से जातक की कुंडली में सूर्य के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही स्वास्थ्य, आय और धन की प्राप्ति के मार्ग भी खुल सकते हैं। जगन्नाथ पुरी स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भारत का सबसे प्राचीन और सुप्रसिद्ध सूर्य मंदिर है, जो अपनी खूबसूरती और भारत की अद्भुत शिल्पकला के लिए विश्व विख्यात है। ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर एक विश्व धरोहर है। ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान के साक्षात दर्शन होते हैं। कोणार्क मंदिर अब एक ऐतिहासिक धरोहर बन गया है और यहां सक्रिय पूजा 16वीं शताब्दी के बाद से बंद हो गई। गुजरात में मोढेरा में एक सूर्य मंदिर स्थित है। मोढेरा का सूर्य मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले में पुष्पावती नदी के किनारे बना है। मंदिर परिसर तीन भाग में बंटा हैं, जिसमें गुधा मंडप, सभा मंडप और कुंड है। इतना ही नहीं, इसका सभा मंडप 52 खंभों पर खड़ा हुआ है, जो साल के 52 हफ्तों को दर्शाता है। इसकी दीवारों पर पंच तत्वों को देखा जा सकता है। वहीं, अलग-अलग हिस्सों पर सूर्य की कई आकृतियां देखी जा सकती हैं। अब यहां पूजा की अनुमति नहीं है।

मार्तंड सूर्य मंदिर कश्मीर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि 8वीं सदी में बने इस मंदिर को कर्कोटा वंश के राजा ललितादित्य मुक्तापिदा ने करवाया था। कश्मीरी वास्तुशिल्प कौशल का एक जीता-जागता उदाहरण है यह सूर्य मंदिर। हालांकि इसे 15वीं शताब्दी में शासक सिकंदर बुतशिकन ने नष्ट कर दिया था। देश के 12 सूर्य मंदिरों में से नौ अकेले बिहार में हैं। इसमें से औरंगाबाद का देवार्क मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर बिहार के औरंगाबाद जिले में देव नामक स्थान पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इस मंदिर की अनोखी बात यह है कि इस मंदिर का दरवाजा पूरब की ओर नहीं होकर पश्चिम की ओर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को सिर्फ एक रात में विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया था। ऐसी मान्यता है कि इस जगह का नाम यहां के राजा रहे वृषपर्वा के पुरोहित शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के नाम पर देव पड़ा था।

आंध्रप्रदेश के अरसावल्ली गांव से करीब 1 किमी पूर्व दिशा में भगवान सूर्य का लगभग 1300 साल पुराना भव्य मंदिर है। यहां पर भगवान सूर्य नारायण अपनी पत्नियों उषा और छाया के साथ पूजे जाते हैं। इस मंदिर की खासियत है कि यहां साल में दो बार सीधे मूर्ति पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान सूर्यदेव के दर्शन मात्र से सुख और सौभाग्य मिलता है। बिहार के भोजपुर जिले के बेलाउर गांव के पश्चिमी एवं दक्षिणी छोर पर स्थित बेलाउर सूर्य मंदिर काफी पुराना है, जिसे राजा द्वारा बनवाए 52 पोखरों में से एक पोखर के बीच में यह सूर्य मंदिर बना हुआ है। बिहार के गया स्थित दक्षिणायन सूर्य मंदिर की प्रतिमा सतयुग काल की मानी जाती है। यहां भगवान सूर्य के साथ शनि और यम भी विराजमान हैं। यहां भगवान सूर्य की प्रतिमा काले पत्थर की है। मान्यता है कि प्रतिमा की स्थापना गयासुर द्वारा की गई है। इसकी स्थापना के बारे में सूर्य पुराण और वायु पुराण में वर्णन है। राजस्थान के झालावाड़ का दूसरा जुड़वा शहर झालरापाटन को सिटी ऑफ वेल्स यानी घाटियों का शहर भी कहा जाता है, जहां शहर के बीचों-बीच सूर्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान है।

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