
नई दिल्ली: नहर का किनारा, एक गुमनाम लाश… और जहर से भरी शीशी। 12 जुलाई 2024 की अल सुबह लोग गहरी नींद के आगोश में थे। जगह थी यूपी के झांसी में रक्सा इलाके का नदीपार गांव। सुबह की सैर के लिए जब कुछ लोग नहर के किनारे टहल रहे थे तो एक लाश को देखकर चौंक जाते हैं। मामले की खबर पुलिस को दी जाती है और कुछ ही देर में पीसीआर मौके पर थी। लाश के पास जहर से भरी एक शीशी भी मिलती है। पुलिस कपड़ों की तलाशी लेती है तो जेब में पर्स के अंदर आधार कार्ड मिलता है। नाम लिखा था- केशव जाटव और उम्र तकरीबन 45 साल। पुलिश लाश का पंचनामा करती है और पोस्टमार्टम के लिए भिजवा देती है। ये लाश थी मध्य प्रदेश के दतिया में इंदरगढ़ के रहने वाले केशव जाटव की। खबर फैलते ही पूरा गांव दहशत से भर जाता है। लोगों के बीच सवाल घूमने लगते हैं। आखिर किसने केशव की जान ली? उसके पास वो जहर की शीशी क्यों थी? इधर लाश की शिनाख्त होते ही पुलिस परिजनों के पास पहुंचती है। खबर सुनते ही परिवार में चीख-पुकार मच जाती है। मृतक केशव की पत्नी लक्ष्मी, दो बेटियों और बेटे का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चलता है कि केशव को पहले गला घोंटकर मारा गया और इसके बाद उसके प्राइवेट पार्ट को कुचला गया। पुलिस अभी केशव की मौत की गुत्थी में उलझी ही थी कि उसके सामने एक राज खुलता है। एक ऐसा राज, जिसमें अवैध संबंधों की कहानी थी।
