फल विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. दीप्ति पटेल ने बताया कि आम फल से 56 व्यंजन बनाए गए हैं। 56 व्यंजन आम तौर पर छप्पन भोग के तर्ज पर बनाए गए हैं, हालांकि इससे अधिक भी बनाया जा सकता है।
राजस्थान: 56 भोग का नाम सुनते ही कई पकवानों की याद आती है। आज हम आपको आम से बने 56 व्यंजनों, यानी 56 खाद्य पदार्थों के बारे में बताने वाले हैं। ज्यादातर लोग आम को फल, शेक और पन्ना के रूप में खाते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आम से 56 प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए जा सकते हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के फल विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने आम से आम पन्ना, सेवई और मिलेट खीर बनाया। आमचूर पावडर, आमचूर, कच्चे आम का चुंदा,आम माफिनन्स, आम नारियल लड्डू, आम पत्ती का पावडर, आम की शक्कर लौजी, आम की गुड़ लौजी, मेंगो जेली, मैंगो जेम, आम का आचार गुड़ वाली, आम और लहसुन का आचार, मेंगो शेक, आम की बर्फी, आम का केक बनाया गया है.
आम और चने का आचार, आम की चटनी, आम का पापड़, आम का आचार, आम की फिरनी, आम छिलके की कैंडी, पन्ना कनस्ट्रेट, आम मेथी का आचार, नारियल आम पानी, आम की गोली, आम का गुदा, आम का पाचक, कच्चे आम का शर्बत, मीठी चटनी, आम का रायता, आम की चाय, आम बाड़न, आम पीयूष, आम का क्रश, टूटी फ्रूटी, आम आम की फिरनी, आम बीज का पावडर, आम का कराची हलवा, आम की कुल्फी, कच्चे आम की कैंडी जैसे 56 प्रकार के व्यंजन तैयार किया गया है.
फल विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. दीप्ति पटेल ने बताया कि सामान्य फल से 56 व्यंजन बनाए गए हैं। 56 व्यंजन आम तौर पर छप्पन भोग के तर्ज पर बनाए गए हैं, हालांकि इससे भी अधिक व्यंजन बनाए जा सकते हैं। इसे बनाने में आम के पल्प, सीड और रस का उपयोग किया गया है। :56 भोग व्यंजन में आम के पल्प से बनाया गया केक शामिल है। यहाँ विनेगर सिरका का इस्तेमाल किया गया है, हालांकि रसगुल्ला आम तौर पर दूध से बनाया जाता है।
सिरका डालकर दूध को फटाया गया है फिर छेने को 3 से 4 बाद कपड़े से रगड़ कर फिर थोड़े शक्कर और मैंगो का पल्प मिलाकर रसगुल्ला तैयार किया गया है. आम के 56 भोग में गटागट गोली भी बनाया गया है. गटागट गोली आम के रस निकालने के बाद बचे गुदे में शक्कर, गुड़ और काला नमक, काली मिर्च, जीरा पाउडर और चाट मसाला मिलाकर गोली के आकार में गटागट कैंडी तैयार किया गया है. आम के बचे हुए पल्प से यह कैंडी बनाया जाता है. 56 व्यंजन बनाने आम के किस्म आम्रपाली, तोतापरी, बैगनफल्ली, दशहरी का इस्तेमाल किया गया है.