भ्रष्टाचार की जड़ खत्म करेंगे सीएम साय, एक अप्रैल से लागू होगी ई-ऑफिस प्रणाली
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुधवार को विधानसभा में अपने विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है। इसी कड़ी में, उन्होंने मैनुअल फाइल प्रणाली को समाप्त कर ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने की घोषणा की। यह नई व्यवस्था एक अप्रैल से शुरू होगी, जिसके लिए 22 करोड़ 67 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
सीएम साय ने बताया कि अब सभी फाइलें डिजिटल रूप से संचालित होंगी, जिससे निर्णय प्रक्रिया तेज होगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। सभी कार्य निर्धारित समय सीमा में पूरे किए जाएंगे, जिससे शासन की कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी और कुशल होगी।
कांग्रेस पर साधा निशाना
मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आबकारी विभाग के राजस्व में हुई बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि पिछली सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के कारण जो पैसा बर्बाद होता था, वह अब जनकल्याण के कार्यों में लग रहा है।
उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि वर्ष 2019-20 में आबकारी राजस्व 4,952.79 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 9,573 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उनकी सरकार ने सभी प्रकार के लाइसेंस प्रक्रिया को ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के तहत ऑनलाइन किया है। इसके अलावा, शराब के परमिट भी डिजिटल कर दिए गए हैं, जिससे टैक्स चोरी पर रोक लगेगी।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से विदेशी शराब की थोक खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया को पुनः लागू किया, जिससे सप्लाई चैन से बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई। साथ ही, होलोग्राम की किसी भी प्रकार की अनियमितता रोकने के लिए अब इसे सीधे शासकीय मुद्रणालय से प्राप्त किया जा रहा है।
विकसित छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ते कदम
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के 33 जिला स्तरीय उड़नदस्तों के लिए 425 नए पदों की स्वीकृति दी गई है, जिसके लिए 19 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। राज्य सरकार लगातार नवाचारों को बढ़ावा देते हुए हर वर्ग के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने की दिशा में ठोस बजट पेश किया है। बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष जनकल्याण और विकास कार्यों के लिए अधिक राशि का प्रावधान किया गया है। विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 19,643 करोड़ 78 लाख 42 हजार रुपये की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित हुईं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता है कि प्रदेश में पारदर्शिता और सुशासन कायम रहे, जिससे हर वर्ग को लाभ मिल सके और छत्तीसगढ़ को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके।