रायपुर। जिले में छह वर्षों में 300 से अधिक लोगों की मौत बंद पड़ी खदानों में डूबने से हुई है। ये आंकड़े जिला आपदा प्रबंधन से मिले हैं। खदान में डूबने से हर साल औसतन 50 से अधिक लोगों की जान चली जाती है। इसी तरह आगजनी और सर्पदंश से मौतों का आंकड़ा दूसरे नंबर पर है।जिले में आगजनी और सर्पदंश से भी हर वर्ष औसतन 20 से 25 लोगों की मौत हो जाती है। पिछले 11 महीनों में प्राकृतिक आपदा से मृत्यु के 191 प्रकरण हैं, जिनमें मृतक के स्वजनों को सात करोड़ 52 लाख रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है। साल 2014 से 2024 तक लंबित प्रकरणों में भी मृतकों के स्वजनों को सहायता राशि दी गई है।चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता
प्राकृति आपदा से मृत्यु होने पर मृतकों के स्वजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी जाती है। इस राशि से मृतक के स्वजनों को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बड़ी मदद मिलती है।
यह भी पढ़ें- ये कैसा अंधविश्वास, पिता बनने के लिए निगल गया जिंदा चूजा… सांस नली में फंसने से गई जान
इसमें पानी में डूबने के अलावा बिच्छूदंश, आकाशीय बिजली गिरने, भारी बारिश होने से पेड़ व मकान गिरने, खदान धसकने जैसी घटनाएं भी शामिल हैं। हालांकि, ऐसी घटनाओं से मौतों की संख्या बंद खदानों में डूबने, आगजनी और सर्पदंश से मृत्यु की तुलना में बहुत कम हैं।चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता
प्राकृति आपदा से मृत्यु होने पर मृतकों के स्वजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी जाती है। इस राशि से मृतक के स्वजनों को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बड़ी मदद मिलती है।
यह भी पढ़ें- ये कैसा अंधविश्वास, पिता बनने के लिए निगल गया जिंदा चूजा… सांस नली में फंसने से गई जान
इसमें पानी में डूबने के अलावा बिच्छूदंश, आकाशीय बिजली गिरने, भारी बारिश होने से पेड़ व मकान गिरने, खदान धसकने जैसी घटनाएं भी शामिल हैं। हालांकि, ऐसी घटनाओं से मौतों की संख्या बंद खदानों में डूबने, आगजनी और सर्पदंश से मृत्यु की तुलना में बहुत कम हैं।रायपुर जिले में पिछले 11 महीनों में प्राकृतिक आपदा से मृत्यु के 191 मामले सामने आए हैं, जिनमें मृतक के स्वजनों को सात करोड़ 52 लाख रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है।