छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में जल आवर्धन योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से पाइपलाइन बिछाई गई, लेकिन पानी की आपूर्ति सुनिश्चित किए बिना यह अधूरी रह गई। इससे स्थानीय निवासियों को गंभीर जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है।
करीब दस साल पहले 37 करोड़ रुपये की इस योजना के अंतर्गत छिंदारी डेम से पाइपलाइन के माध्यम से प्रत्येक वार्ड तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य था। हालांकि, मुख्य पाइपलाइन के बिना ही शहर में आंतरिक पाइपलाइनें बिछा दी गईं, जिससे आज तक इन पाइपों से पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी है।
इसी प्रकार, जल जीवन मिशन के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में पाइपलाइन बिछाने के बावजूद पानी की आपूर्ति में समस्याएं देखी गई हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के बिलौली महाराज ग्राम पंचायत में पाइपलाइन से पानी की बर्बादी हो रही है क्योंकि पानी रोकने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं लगाए गए हैं।
मध्य प्रदेश के खंडवा में 120 करोड़ रुपये की नर्मदा जल परियोजना पाइपलाइन में बार-बार लीकेज के कारण विफल हो गई, जिससे स्थानीय लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि जल आपूर्ति योजनाओं में पाइपलाइन बिछाने के साथ-साथ जल स्रोतों की उपलब्धता और वितरण प्रणाली की गुणवत्ता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा, इन योजनाओं का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता और जनता को जलसंकट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।