छत्तीसगढ़ सरकार ने भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब भूमि के नामांतरण (म्यूटेशन) की प्रक्रिया को और अधिक सुगम बनाने के लिए पंजीयन अधिकारियों—जैसे रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार—को यह अधिकार प्रदान किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- नामांतरण अधिकार का हस्तांतरण: पहले भूमि के नामांतरण की प्रक्रिया तहसीलदार के माध्यम से होती थी, लेकिन अब छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 24(1) के तहत यह अधिकार पंजीयन अधिकारियों को सौंपा गया है।
- प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति: इस बदलाव से भूमि क्रय-विक्रय की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और नामांतरण की प्रक्रिया कम समय में पूरी होगी, जिससे आम जनता को सुविधा होगी और भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी।
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- तत्काल प्रभाव: राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना 24 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गई है और इसे सभी जिलों में लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
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- जनहितैषी निर्णय: राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने इस निर्णय को जनहितैषी और दूरदर्शी बताया है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूमि से संबंधित विवादों में कमी आएगी।