छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। एक तरफ़ भाजपा जहां कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए घोटाले को लेकर हमलावर है, वहीं कांग्रेस जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाकर पलटवार कर रही है।
जांच का दायरा बढ़ा, अफसरों से लेकर कारोबारियों तक शिकंजा
शराब घोटाले की जांच कर रही ACB और EOW अब तक कई बड़े अधिकारियों और नेताओं को गिरफ्तार कर चुकी है। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा समेत कई IAS अधिकारी जेल में हैं। अब जांच एजेंसी ने कारोबारियों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल ही में कई व्यापारियों के ठिकानों पर छापेमारी की गई है।
टंकराम वर्मा का आरोप: कांग्रेस शासन में हुआ बड़ा भ्रष्टाचार
राज्य के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा ने कांग्रेस पर सीधे निशाना साधते हुए कहा,
“पिछले पांच सालों में छत्तीसगढ़ में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। हमारी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।”
कांग्रेस का पलटवार: राजनीतिक बदले की भावना से हो रही कार्रवाई
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि भाजपा राजनीतिक विरोधियों को फंसाने के लिए ACB और ED जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।
“यह पूरी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। सरकार अपने विरोधियों को दबाने के लिए एजेंसियों का सहारा ले रही है,” कांग्रेस का बयान।
जांच की रफ्तार तेज, सियासत और गरम
ED भी इस मामले में सक्रिय है और अब तक सैकड़ों लोगों से पूछताछ हो चुकी है। कांग्रेस नेताओं के करीबी व्यापारी और अन्य कारोबारी भी एजेंसियों के निशाने पर हैं। वहीं भाजपा लगातार यह कह रही है कि जनता को सच बताना और घोटालेबाजों को सजा दिलाना उनकी प्राथमिकता है।
क्या आगे और बढ़ेगा बवाल?
शराब घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, राज्य की सियासत और भी गर्म होती जा रही है। आने वाले दिनों में जांच की दिशा और उसमें होने वाले खुलासे यह तय करेंगे कि इस राजनीतिक लड़ाई में किसका पलड़ा भारी रहेगा।