न्यायालय ने बैचलर इन एजुकेशन (बीएड) योग्यताधारियों को सहायक शिक्षक पद के लिए अयोग्य ठहराया है। इसलिए राज्य में लगभग तीन हजार शिक्षकों की नौकरी खतरे में है। डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) धारी अभ्यर्थियों के पक्ष में दो अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट बिलासपुर ने फैसला सुनाया। इसमें सहायक शिक्षक के लिए केवल डीएलएड धारी योग्य बताया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय में 11 अगस्त 2023 को पारित आदेश का हवाला देते हुए, सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त बीएड योग्यताधारी का चयन निरस्त कर दिया. इस निर्णय में सरकार को छह सप्ताह के अंदर पुनरीक्षित चयन सूची जारी करने का आदेश दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय में छत्तीसगढ़ शासन और बीएड डिग्रीधारी कुछ सहायक शिक्षकों ने हाई कोर्ट का निर्णय चुनौती दी थी।
कानूनी लड़ाई लंबी चली
28 अगस्त 2024 को केस सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले एक शिक्षक (बीएड) ने कहा कि सभी याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। नईदुनिया से चर्चा में शिक्षिका मोनिका शर्मा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की आदेश की प्रतियां मिलने के बाद ही लोग कुछ कह पाएंगे। अधिवक्ताओं ने निरंतर संपर्क बनाए रखा है। मध्य प्रदेश में भी इस मामले में कानूनी लड़ाई चली थी।
शिक्षा विभाग ने बुधवार को बीएड योग्यताधारी सहायक शिक्षकों की नियुक्तियों को निरस्त करने का आदेश दिया है। इसके बाद छत्तीसगढ़ में भी नियुक्ति को रद्द करने का आदेश देने की संभावना है। इससे सहायक शिक्षक निराश हैं और सरकार से बीच का रास्ता निकाले जाने की उम्मीद भी लगाए हुए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने अधिसूचना को रद कर दिया है. 28 जून 2018 को एनसीटीई द्वारा पारित अधिसूचना को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 11 अगस्त 2023 को पारित आदेश में निरस्त कर दिया गया है। इस सूचना में एनसीटीई ने भी बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को सहायक शिक्षक पद के लिए योग्य माना था। कुछ डीएलएड अभ्यर्थियों ने अधिसूचना को अमान्य करने की मांग की थी।