सूर्य नमस्कार सबसे प्रसिद्ध और प्रभावी योग अभ्यासों में से एक है। सूर्य नमस्कार शरीर, मन और आत्मा पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह 12 आसनों का एक संपूर्ण योग है। लेकिन कई लोगों के मन में एक सवाल बार-बार उठता है कि क्या सूर्य नमस्कार केवल सुबह के समय ही किया जाना चाहिए? या इसे दिन के किसी भी समय किया जा सकता है? अगर आप सुबह सूर्य नमस्कार नहीं कर पाते हैं और सोच रहे हैं कि इसके लाभ कैसे प्राप्त करें, तो इस लेख में जानें कि आप सूर्य नमस्कार कब कर सकते हैं और किस समय सूर्य नमस्कार का अभ्यास अधिक लाभकारी होता है।
सूर्य नमस्कार करने का सही समय: परंपरागत रूप से सूर्य नमस्कार सुबह के समय सूर्य उदय के आसपास किया जाता है, जब वातावरण शुद्ध होता है और शरीर ऊर्जावान महसूस करता है। इस समय योग और ध्यान सबसे प्रभावी होते हैं। लेकिन यदि सुबह संभव न हो तो इसे आप शाम को सूर्यास्त से पहले या दिन में खाली पेट भी कर सकते हैं। किस समय क्या लाभ मिलता है? सुबह यानी सूर्योदय से पहले या उसी वक्त सूर्य नमस्कार का अभ्यास शरीर को एक्टिव बनाता है, मन शांत रहता है और दिनभर ऊर्जा मिलती है।
अगर आप दोपहर में इसका अभ्यास करते हैं तो पाचन तंत्र मजबूत होता है और तनाव घटता है। वहीं सूर्य नमस्कार का अभ्यास शाम के वक्त करने से थकान दूर होती है और नींद में सुधार होता है।
किन बातों का रखें ध्यान: सूर्य नमस्कार खाली पेट या खाने के कम से कम 3 घंटे बाद करें। यदि उच्च रक्तचाप, रीढ़ की समस्या या गर्भावस्था है तो योग विशेषज्ञ की सलाह से ही करें। ज्यादा थकावट या बुखार की स्थिति में इसका अभ्यास न करें।
सूर्य नमस्कार के प्रमुख लाभ: 12 आसनों के इस सेट के नियमित अभ्यास से वजन घटाया जा सकता है। इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत बनाता है। इसका अभ्यास रक्त संचार बेहतर बनाने में सहायक होता है। सूर्य नमस्कार तनाव और चिंता कम करता है। अभ्यास से पाचन क्रिया को सुधार होता है। सूर्य नमस्कार से चेहरे पर ग्लो आचा है।