भारतीय रसोई में स्वाद बढ़ाने वाली हींग (Ferula Asafoetida) केवल मसाला नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली औषधि भी है। आयुर्वेदिक चिकित्सा और घरेलू नुस्खों में इसका उपयोग सदियों से किया जा रहा है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (NLM) की रिपोर्ट बताती है कि हींग का उपयोग अपच, गैस, खांसी, मिर्गी, ब्रोंकाइटिस, अल्सर और इन्फ्लूएंजा जैसी समस्याओं के इलाज में किया जाता रहा है।
हींग के सबसे चर्चित गुणों में इसका पाचन सुधारने वाला असर प्रमुख है। यह गैस, पेट फूलना और अपच जैसी समस्याओं से तुरंत राहत देती है। चरक संहिता में भी इसे ‘अन्नपाचन’ के लिए रामबाण बताया गया है। जिन लोगों को भूख नहीं लगती या बार-बार गैस बनती है, उनके लिए हींग बेहद उपयोगी है। नियमित रूप से दाल, सब्जियों या छाछ में हींग का प्रयोग करने से पाचन क्रिया बेहतर रहती है।
हींग का एक और घरेलू उपयोग दांत दर्द में देखा जाता है। कपूर के साथ मिलाकर प्रभावित दांत पर लगाने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है। इसके अलावा, तिल के तेल में हींग पकाकर कान में दो-तीन बूंद डालने से कान के दर्द में भी आराम मिलता है।
शोधों के अनुसार, हींग शरीर में इंसुलिन को सक्रिय करके ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करती है। साथ ही, इसमें पाया जाने वाला कौमारिन नामक तत्व रक्त को पतला करने में मदद करता है, जिससे ब्लड क्लॉटिंग का खतरा कम होता है। यह तत्व ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर उच्च रक्तचाप में भी राहत देता है।
आधा कप गुनगुने पानी में चुटकी भर हींग मिलाकर पीने से माइग्रेन और सिरदर्द में आराम मिलता है। यह मस्तिष्क की रक्त धमनियों में सूजन को कम करती है, जिससे सिरदर्द धीरे-धीरे घटता है।
प्रसव के बाद गर्भाशय को साफ रखने और पेट से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में भी हींग को कारगर माना गया है। इसके सेवन से गैस की शिकायत कम होती है और महिलाओं को जल्दी रिकवरी में सहायता मिलती है।
हालांकि हींग में कई औषधीय गुण हैं, लेकिन शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और एलर्जी की प्रवृत्ति रखने वालों को इसके सेवन से पहले चिकित्सकीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए। हींग न केवल स्वाद में सुधार लाती है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह एक अचूक औषधि है। चुटकी भर हींग कई बड़ी बीमारियों में राहत देने की क्षमता रखती है। यदि इसका सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह रसोई की सबसे प्रभावी औषधियों में से एक साबित हो सकती है।