वास्तु शास्त्र भारतीय वास्तुकला का एक प्राचीन विज्ञान है, जो घर के निर्माण और उसमें रखी जाने वाली वस्तुओं की दिशा और स्थिति पर ध्यान केंद्रित करता है। माना जाता है कि घर में वास्तु दोष होने पर वहां रहने वाले लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और महिलाओं पर इसका प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है।
यहाँ कुछ वास्तु दोष और उनसे जुड़ी संभावित समस्याएं बताई गई हैं, जो महिलाओं को प्रभावित कर सकती हैं:
1. रसोई से संबंधित वास्तु दोष:
- खाना बनाते समय मुंह की दिशा: यदि घर की महिला दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खाना बनाती है, तो उसे कमर दर्द, सर्वाइकल, जोड़ों का दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) में दोष: रसोई का अग्नि कोण में होना शुभ माना जाता है। यदि रसोई गलत दिशा में है, जैसे ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में, तो इससे महिलाओं को पेट संबंधी बीमारियां और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- पीठ की ओर द्वार: खाना बनाते समय पीठ की ओर दरवाजा होने से भी कमर और कंधों में दर्द हो सकता है।
2. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) से संबंधित दोष:
- ईशान कोण का ऊंचा होना: यदि घर का ईशान कोण ऊंचा है और बाकी सभी दिशाएं उससे नीची हैं, तो घर की महिला सदस्य को गंभीर बीमारी होने की आशंका बनी रहती है।
- ईशान कोण में शौचालय: ईशान कोण में बना शौचालय बहुत बड़ा वास्तु दोष माना जाता है। यह घर की महिलाओं को न केवल बीमार कर सकता है, बल्कि संतान सुख से भी वंचित कर सकता है।
- ईशान कोण का बंद होना/अव्यवस्था: उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा का बंद होना या अव्यवस्थित होना फेफड़ों पर बुरा असर डाल सकता है, जिससे सीने से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। यदि यह दिशा गंदी या अव्यवस्थित है, तो घर में नकारात्मकता आती है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
3. दक्षिण दिशा से संबंधित दोष:
- दक्षिण में भूमिगत जलस्रोत: यदि घर में पानी की बोरिंग या भूमिगत जलस्रोत दक्षिण दिशा में है, तो यह बहुत बड़ा दोष है। ऐसा होने से घर की महिलाओं का स्वास्थ्य खराब रहता है और अनचाहे खर्च भी बढ़ते हैं।
- दक्षिण दिशा में वास्तु दोष: यदि आपके घर की दक्षिण दिशा में वास्तु दोष है, तो इससे महिलाओं को थकान और तनाव (स्ट्रेस) की समस्या पैदा हो सकती है।
- दक्षिण नैऋत्य भाग में मार्ग प्रहार: घर के दक्षिण नैऋत्य भाग में मार्ग प्रहार (गली का अंत) को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा वास्तु दोष घर की महिलाओं में अवसाद पैदा करता है और कुछ गंभीर मामलों में आत्महत्या तक के विचार आ सकते हैं।
4. शयनकक्ष (बेडरूम) से संबंधित दोष:
- उत्तर दिशा में सिर करके सोना: उत्तर दिशा की तरफ सिर करके सोने से माइग्रेन, साइनस, सिर दर्द जैसी बीमारियां हो सकती हैं। महिलाओं को मानसिक शांति और नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए।
- बेड के सामने शीशा: बेड के सामने शीशा होने से सोते समय छवि दर्पण में नजर आने से व्यक्ति धीरे-धीरे बीमार होने लगता है।
- पलंग के नीचे कबाड़: पलंग के नीचे जूते-चप्पल या कबाड़ रखने से रिश्तों में मनमुटाव उत्पन्न होता है, जिससे महिलाओं को मानसिक परेशानी हो सकती है।
5. अन्य सामान्य वास्तु दोष:
- उत्तर एवं उत्तर-पूर्व दिशा का बंद होना और दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा का खुला होना: ऐसा होने पर घर के भीतर बीमारी और खर्च, दोनों ही अत्यधिक बढ़ जाते हैं।
- अंधेरा या नकारात्मक ऊर्जा: घर में उचित रोशनी की कमी या नकारात्मक ऊर्जा का संचार महिलाओं के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल सकता है।
- घर में कबाड़ का जमा होना: घर में बहुत अधिक अनुपयोगी सामान जमा होने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे महिलाओं को मानसिक अशांति और तनाव हो सकता है।
उपाय और सुझाव:
- अपने घर के वास्तु का मूल्यांकन किसी योग्य वास्तु विशेषज्ञ से करवाएं।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए नियमित रूप से साफ-सफाई करें।
- सुबह जल्दी उठें और घर में ताजी हवा और धूप आने दें।
- घर में पूजा-अर्चना करें और सकारात्मक मंत्रों का जाप करें।
- बंद घड़ियों को ठीक कराएं या हटा दें।
- वास्तु दोषों को दूर करने के लिए बताए गए छोटे-छोटे उपायों को अपनाएं, जैसे नमक के पानी से पोंछा लगाना।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वास्तु शास्त्र एक पारंपरिक भारतीय विज्ञान है और इसके प्रभावों पर विश्वास व्यक्तिगत धारणा पर आधारित है। यदि आपको या आपके परिवार में किसी को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या है, तो सबसे पहले योग्य चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।