बिलासपुर. भीषण गर्मी और लगातार बिगड़ती विद्युत व्यवस्था ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। गुरुवार को तालापारा सहित आधा दर्जन इलाकों में सुबह 11 बजे से रात 1.30 बजे तक बिजली ठप रही, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालात इतने गंभीर हो गए कि एक पेंटर की मौत के बाद उसके परिजन शव के कफन-दफन के लिए घंटों बिजली का इंतजार करते रहे, लेकिन केवल आश्वासन ही मिलता रहा।
बिजली न आने के कारण अंधेरे में शवयात्रा
तालापारा के मुख्यमार्ग निवासी फिरोज उर्फ बड़ा गुड्डा (40), पिता स्वर्गीय अब्दुल हमीद, स्प्रे पेंटिंग का कार्य करते थे। वे पिछले कुछ समय से बीमार थे और गुरुवार दोपहर करीब 3.30 बजे उनका निधन हो गया। धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार, रात 8.30 बजे ईशा की नमाज के बाद शवयात्रा निकालने का निर्णय लिया गया, लेकिन सुबह 11 बजे से जारी बिजली कटौती के कारण परिवार असमंजस में था।
शोकाकुल परिजनों ने पूरे दिन विद्युत विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन हर बार यही जवाब मिला कि “एक-दो घंटे में बिजली आ जाएगी।” रात 10.30 बजे तक भी बिजली नहीं आई, जिसके बाद परिजन और अन्य लोग अंधेरे में ही शवयात्रा लेकर मरीमाई कब्रिस्तान पहुंचे।
मोबाइल टॉर्च और इमरजेंसी लाइट में हुआ अंतिम संस्कार
कब्रिस्तान में भी अंधेरा छाया हुआ था। समाज के वरिष्ठजनों ने इमरजेंसी लाइट की व्यवस्था करने की कोशिश की, लेकिन यह पर्याप्त नहीं थी। अंततः शवयात्रा में शामिल लोगों ने मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में कफन-दफन की प्रक्रिया पूरी की। मृतक के भाई फारूख अहमद ने कहा कि “हमने अंतिम समय तक बिजली आने का इंतजार किया, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। हमें अंधेरे में ही अंतिम संस्कार करना पड़ा।”
विद्युत विभाग की सफाई
बिलासपुर विद्युत क्षेत्र के कार्यपालक निदेशक भीम सिंह कंवर ने कहा,
“न बिजली की कमी है, न ही इसे जानबूझकर बंद किया गया था। गुरुवार को इंदू चौक सबस्टेशन का पावर ट्रांसफार्मर फेल हो गया था। नया ट्रांसफार्मर लगाने और क्रेन का इंतजाम करने में समय लगा। करीब 1 बजे ट्रांसफार्मर बदला गया और रात 1.30 बजे बिजली बहाल कर दी गई। अंधेरे में शवयात्रा निकाले जाने की मुझे जानकारी नहीं थी, इस पर चर्चा कर जानकारी लूंगा।”
जनप्रतिनिधियों का आक्रोश
नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरुद्दीन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि “साढ़े चौदह घंटे तक बिजली ठप रही, जिससे चचेरे भाई के शव को टॉर्च की रोशनी में दफन करना पड़ा। यदि व्यवस्था नहीं सुधरी तो हम अफसरों के घरों की बिजली काट देंगे।”
मरीमाई कब्रिस्तान के केयरटेकर अब्दुल हफीज ने कहा,
“शरीयत के अनुसार, ईशा की नमाज के बाद 8.30 से 9.30 बजे तक और अधिकतम 10 बजे तक कफन-दफन किया जाता है। लेकिन बिजली गुल रहने के कारण हमें रात 11 बजे अंधेरे में अंतिम संस्कार करना पड़ा।”