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रायपुर

विश्व बैंक से कर्ज लेकर छत्तीसगढ़ सरकार बढ़ाएगी स्कूलों की चमक

रायपुर। राज्य सरकार स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विश्व बैंक से 2100 करोड़ रुपया कर्ज लेगी। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने लोक शिक्षण संचालक, प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा और अन्य विभागों को पत्र लिखकर स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए होने वाले संभावित व्यय भार का आकलन करने को कहा है।

सरकार प्रदेश में नए सत्र से 300 नए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोलने जा रही है। वर्तमान में 279 स्वामी आत्मानंद स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम सरकारी विद्यालयों के खुलने के बाद गांव-गांव से जो फीडबैक मिल रहे हैं उससे स्पष्ट है कि यह योजना सरकार के लिए गेमचेंजर साबित होगी।

सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल निजी स्कूलों की तरह आधुनिक स्वरूप में बनाए गए हैं। जिन गांवों में हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल हैं वहां के अभिभावक भी अब मांग कर रहे कि उनके स्कूलों को आधुनिक स्वरूप दिया जाए। यही कारण है कि सरकार सभी स्कूलों की दशा सुधारने की योजना बना रही है।

स्कूलों में अधोसंरचना के विकास के लिए सरकार ने विश्व बैंक से ऋण लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ऋण की यह राशि 20 वर्ष में चुकाई जाएगी। ज्ञात हो कि अब तक सरकार अधोसंरचना विकास के अन्य कार्याें के लिए ही विश्व बैंक से कर्ज लेती थी, पहली बार शिक्षा के लिए कर्ज लिया जाएगा।

नए स्कूल भवन व जर्जर भवनों की मरम्मत

सरकार को अभिभावकों व जनप्रतिनिधियों से कई जगह नए आत्मानंद स्कूल खोलने के प्रस्ताव मिले हैं। ऋण की राशि से लगभग तीन सौ नए अंग्रेजी स्कूल खोले जाएंगे। राज्य में 2020 में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए। इससे पहले से यहां 56 हजार से ज्यादा हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों में से आधे से अधिक ऐसे हैं जिनके भवन जर्जर हैं। स्कूल भवनों की मरम्मत व आधुनिकीकरण में भी राशि व्यय की जाएगी।

मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता

ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश स्कूलों में पेयजल, शौचालय, फर्नीचर, डिजिटल कक्षा, लैब, लाइब्रेरी जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए राशि की आवश्यकता है।

अभी स्कूल शिक्षा में है इतना बजट

प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग का बजट 5,632 करोड़ रुपये है। इनमें से 80 प्रतिशत अकेले शिक्षकों की सैलरी में ही खर्च हो रहा है। प्रदेश में 56 हजार स्कूलों मंे 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

विश्व बैंक से लोन लेने के लिए अभी अंतिम प्रारूप निर्धारित नहीं हो पाया है। अभी उनके प्रतिनिधियों से चर्चा चल रही है।

 

 

 

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