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गोधन न्याय योजना की प्रशंसा

गोधन न्याय योजना को पूर्ण सफल तभी माना जाएगा जब गोवंश सड़कों पर नहीं दिखेंगे।

रायपुर। प्रदेश की गोधन न्याय योजना की राष्ट्रीय स्तर पर लगातार प्रशंसा हो रही है। शुरू से ही इस योजना को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दूरदृष्टि के रूप में ही देखा जा रहा है। गोधन को सड़कों से हटाने के लिए गोबर के बाद गोमूत्र संग्रहण को भी लाभकारी बनाने की पहल की जा चुकी है। यही कारण है कि नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की। किसानों को पहले से पता है कि गोबर से बने वर्मी कंपोस्ट से खेत की उत्पादकता बढ़ती है।

रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव से अवगत होने के बाद लोग जैविक खाद से उत्पादित खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन की पहल का सकारात्मक परिणाम पूरे देश का ध्यान बार-बार आकृष्ट कर रहा है। गोमूत्र से कीटनाशक और अन्य उत्पाद तैयार करने की पहल गोवंश संरक्षण की दिशा में अगला चरण है। लाभ के प्रति आसक्त होना मानवीय स्वभाव है। कृषि की बदलती तकनीकी के बीच गोवंश को लाभकारी बनाना बड़ी चुनौती है।

लोग गाय का दूध तो पीना चाहते हैं परंतु देखभाल के लिए तैयार नहीं होते। प्रदेश सरकार ने इस योजना के माध्यम से बहुआयामी अवसरों का सृजन किया है। गोठानों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में विकसित करने की परिकल्पना के सफल होने का अर्थ रोजगार के अवसरों का सृजन भी है जिसके परिणाम स्वरूप वहां उत्पादित गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थों को अच्छी कीमत पर उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा सकेगा। सरकार फसल विविधीकरण की प्रक्रिया में भी जुटी है ताकि किसान सिर्फ धान का उत्पादन करने की जगह दलहन और तिलहन की तरफ भी प्रोत्साहित हों।

ग्रामीण और कृषि पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री किसानों की चुनौतियों को समझते हैं। इसलिए समाधान का प्रयास कर रहे हैं। न्याय योजना के तहत किसानों को सहायता पहुंचाकर उनकी क्रय क्षमता बढ़ाने के प्रयास का बाजार पर सकारात्मक प्रभाव भी देखने में आया है। प्रायोगिक तौर पर योजना की सफलता के बाद आवश्यक है कि इसका अधिक से अधिक विस्तार हो। मुख्यमंत्री की परिकल्पना को पूरा देश उदाहरण के रूप में ले रहा है। संसदीय समिति के साथ-साथ विभिन्न् राज्यों के प्रतिमंडलों द्वारा गोधन न्याय योजना की जिस तरह से सराहना की जा चुकी है, उससे उम्मीद बंधती है कि अन्य राज्यों में भी इस तरह की योजना शुरू होगी।

ऐसे में आवश्यक हो गया है कि गुणवत्ता की दृष्टि से प्रदेश के गोठानों के स्तर में सुधार की प्रक्रिया निरंतर चलती रहे। यह कड़वी सच्चाई है कि सड़कों पर गोवंश पूरी परिकल्पना को विफल कर देते हैं। सड़कों पर गोवंश के कारण से होने वाली दुर्घटनाओं के कारण लोगों की मौत और विकलांगता पर ध्यान दिया जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि गोधन न्याय योजना में खर्च की जाने वाली राशि मानव जीवन की होने वाली हानि से कहीं कम है।

कहना उचित रहेगा कि गोधन न्याय योजना को पूर्ण सफल तभी माना जाएगा जब गोवंश सड़कों पर नहीं दिखेंगे। गोठानों में गोवंश के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। इसके लिए संबंंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सजग और सक्रिय होना होगा।

 

 

 

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