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चिकमगलूर से हुई थी कॉफ़ी की शुरुआत, जाने इसका इतिहास

कर्नाटक के सबसे शांत और मनोरम स्थलों में से एक है पश्चिमी भाग में 3400 फीट की ऊंचाई पर स्थित चिकमगलूर। यह ज्यादातर अपने कॉफी के बागानों और सुखद मौसम के लिए जाना जाता है। चिकमगलूर का एक और प्रसिद्ध आकर्षण बाबाबुदनगिरी पर्वतमाला है। बता दें यह अनदेखे स्थलों में से एक था, लेकिन अपने सुरम्य परिदृश्य और हरियाली के कारण इस हिल स्टेशन ने पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है।

चिकमगलूर का शाब्दिक अर्थ 'छोटी बेटी की भूमि' है। इससे एक इतिहास जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि सालों पहले एक महान सरदार ने यह जमीन अपनी छोटी बेटी को दहेज के रूप में दी थी, जिसने सकरपटना-रुकमंगदा पर शासन किया था। इसी वजह से इस जगह का नाम चिकमंगलुर रखा गया। चिकमगलूर में ऊबड़-खाबड़ इलाके, आश्चर्यजनक पर्वतीय क्षेत्र और तराई भी हैं। क्योंकि यह सुंदर परिदृश्य और अछूते वातावरण के बीच स्थित है, तो आपको एक बार यहां जरूर जाना चाहिए। 

स्थानीय लोगो का मान्यता यह भी है कि कॉफी सबसे पहले चिकमगलूर में बनाई गई थी। वहीं अगर यहां के स्थानीय लोगों से पूछें तो वो आपको बताएंगे कि बाबू बुदान जो कि एक मुस्लिम संत थे, 1670 में यमन से कॉफी के बीज लाए और यहां उनकी खेती की। तभी से कॉफी शुरू हुआ और अंग्रेजों ने भी विकास में बड़ी भूमिका निभाई।

यहां आपको सेंट्रल कॉफी रिसर्च इंस्टीट्यूशन भी मिलेगा। इन सबके अलावा इस क्षेत्र के झरनें भी पर्यटक को बेहद आकर्षित करते हैं। यहां घूमने के लिए प्रसिद्ध हेब्बे फॉल्स, शांति झरना और कई झरने हैं। आपको बता दें चिकमगलूर कई प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों, बुद्धिजीवियों, कवियों और राजनेताओं का जन्म स्थान है।

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