RCP की मदद से सेंध लगा रही थी BJP नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाते हुए भी ऑन था ऑपरेशन लोटस
पटना। बिहार की सियासत में एक बार फिर से भूचाल आया है। इस बार इसके सूत्रधार हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री और JDU के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष RCP सिंह। इस एक नेता के कारण बिहार की पूरी सियासत में उथल-पुथल है।
बिहार में एक बार फिर से नीतीश और लालू साथ आ सकते हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि 2025 तक नीतीश कुमार की अगुआई में बिहार में NDA की सरकार चलाने का दावा करने वाली BJP से चूक कहां हो गई ? क्यों नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी मार रहे हैं? इस पूरी कहानी को परत-परत हम आपको यहां बताएंगे।
ललन सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने बढ़ाई BJP की धड़कन
सत्ता परिवर्तन की इस पूरी पटकथा की शुरुआत JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने की।रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर उन्होंने कहा कि JDU के खिलाफ साजिश रची जा रही थी। वक्त आने पर बताएंगे कि पार्टी के अंदर कौन सी साजिश चल रही थी। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान की तरह JDU के खिलाफ एक और साजिश चल रही थी।
अब चिराग मॉडल' को जान लीजिए
दरअसल 2020 विधानसभा चुनाव में BJP-JDU के साथ VIP और जीतनराम मांझी की HAM एक साथ चुनावी मैदान में थी। चुनावी मैदान में चिराग पासवान अकेले थे।चिराग ने वहां-वहां अपने उम्मीदवार खड़े किए, जहां-जहां JDU ने उम्मीदवार उतारे थे। कहा जाता है कि चिराग के कारण ही JDU को सबसे अधिक नुकसान हुआ। नतीजा JDU बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई। चुनाव में LJP को BJP का B टीम भी कहा गया। LJP के ज्यादातर उम्मीदवार BJP के थे जो चुनाव के बाद पार्टी में वापस लौट आए।
अब चिराग मॉडल-2 की पूरी कहानी समझिए
दरअसल BJP सत्ता में रहते हुए BJP ऑपरेशन लोटस पर काम कर रही थी। बिहार की सियासत को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार कहते हैं कि आरसीपी सिंह की मदद से BJP पार्टी के भीतर सेंध लगाने की तैयारी कर रही थी। अभी चुनाव होना नहीं था। ऐसे में पार्टी में टूट ही एक विकल्प बच रहा था। इसकी जिम्मेदारी RCP सिंह के कंधे पर थी।
इन तीन कारणों से बढ़ी BJP और नीतीश के बीच दूरी
1.जेपी नड्डा के बयान ने बढ़ाई नाराजगी
वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार कहते हैं कि इस बार CM की कुर्सी पर बैठने के बाद नीतीश कुमार लगातार BJP के साथ असहज हैं। समय- समय पर उनकी नाराजगी में ये बात दिखी है। चाहे वो विधानसभा अध्यक्ष के साथ सदन में हुई नोक-झोंक हो या केंद्रीय नीतियों का विरोध। । इस बीच पटना में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा के इस बयान ने नीतीश की नाराजगी बढ़ा दी कि देश से क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। बचेगी तो सिर्फ BJP
2. बार-बार गठबंधन के बयान से भी बिगड़ी बात
JDU के उच्च स्तर के नेता ने बताया कि अचानक BJP के नेता 2024 और 2025 चुनाव का राग अलापने लगे। पार्टी की तरफ से लगातार इस बात का संदेश दिया जाने लगा कि नीतीश कुमार बस 2025 तक ही गठबंधन का चेहरा रहेंगे। इसके बाद NDA का चेहरा बदल जाएगा। भीतरखाने से यह भी संदेश दिया जाने लगा कि अब सरकार में BJP का चेहरा होगा। गठबंधन में इसके कारण भी बात बिगड़ी है।
3. मंत्रिमंडल की मांग ने भी बिगाड़ा खेल
केंद्रीय मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी इस गठबंधन के गले की फांस शुरू से बनी रही। पहले JDU की तरफ से 4 मंत्री पद मांगा गया। आखिर में दो की मांग पर ये अड़े रहे। लेकिन नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि वे सभी सहयोगियों को एक सीट देंगे। पहले नीतीश की JDU ने सरकार में शामिल होने से मना कर दिया। बाद में RCP सिंह मंत्रीमंडल में शामिल हो गए। उन पर कई आरोप भी लगे।
नीतीश और आरसीपी की दूरियों की वजह भी इसे बताया गया। JDU सूत्रों की मानें तो RCP सिंह का पद खाली होने के बाद फिर से इस पर मंत्रणा हुई। JDU ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया। अब बिहार में पूरा समीकरण ही बदलने की तैयारी है।
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