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बिल्हा में नजर आई सूर्य के करीब अद्भुत घटना, आधे घंटे बाद गायब

मौसम विज्ञानी ने कहा यह हेलो इफेक्ट, सूर्य के चारों ओर गोल घेरा

बिलासपुर । बिल्हा में आसमान में पांच अगस्त की सुबह 11.30 बजे अद्भुत नजारा देखने को मिला। सूर्य के चारों ओर इंद्रधनुषी गोला नजर आया। इसके बाद लोगों में कौतुहल का विषय बन गया। मोबाइल और कैमरे में लोग तस्वीरें निकालने लगे। नईदुनिया ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि यह हेलो इफेक्ट है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो साल के 365 दिनों में से 100 दिन विश्व के अलग-अलग हिस्सों में यह नजर आता है।

बिल्हा रेलवे स्टेशन के आसपास आसमान में यह अद्भुत घटना देखने को मिली। सूरज के चारों ओर एक गोला बना नजर आया। यह गोला करीब आधे घंटे तक बना रहा, जो लोगों में चर्चा का विषय बना रहा। नईदुनिया ने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि इस तरह की आसमानी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, जिसे विज्ञानी हालो या हेलो इफेक्ट कहते हैं। खास बात यह कि यह इंद्रधनुष रंगों में एकदम उल्टा रहता है।

यानी ऊपर का रंग नीचे और सबसे नीचे क्रम का रंग ऊपर होता है। सीएमडी पीजी महाविद्यालय भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डा.पीएल चंद्राकर के मुताबिक सूरज के चारों ओर बना यह गोला सूर्य और चंद्रमा का गोलाकार प्रभामंडल होता है, जो 22 डिग्री एंगल पर एक-दूसरे से मिलते हैं। यह दृश्य सूर्य या चंद्रमा की रोशनी पर नहीं, बल्कि बादलों के झुंड जो तीन लेयर पर होता है। आसान भाषा में आइस क्रिस्टल और लाइट के रिफ्लेक्शन से बनता है। इस घटना को 22 डिग्री हालो इफेक्ट कहते हैं।

वर्षा होने पर बनते हैं हालो इफेक्ट

सेवानिवृत्त मौसम विज्ञानी अब्दुल सिराज खान ने बताया कि यह दृश्य आसानी से नजर नहीं आता। जब लगातार वर्षा होती है और अचानक थमने के बाद बादलों के प्रभाव से बनते हैं। अर्थात जब वातावरण में धूल के अतिसूक्ष्म कणों की मात्रा अधिक हो जाती है, तो उनका संपर्क पर्याप्त नमी से हो जाता है। सूरज की किरणों के टकराने पर धूल कण के संपर्क में आने वाली नमी किरणों को बिखेरकर एक इंद्रधनुष का घेरा बनाती है। इससे सूर्य की रोशनी का रिफ्लेक्शन चेंज होता है और यह प्रक्रिया हमें गोल घेरे के रूप में दिखाई देती है।

स्कूलों में बच्चों को पढ़ाएं शिक्षक

आसमानी घटना को लेकर सभी में उत्सुकता रहती है। प्रो.चंद्राकर की मानें तो ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद स्कूल या कालेज में शिक्षकों को अनिवार्य रूप से बच्चों को अवगत कराना चाहिए, ताकि उनके मस्तिष्क में खगोलीय घटनाओं की जानकारी डाली जा सके। सूर्य और चंद्रमा में घटने वाली प्रत्येक चीजों को पाठ्यक्रम के हिस्से में जोड़ना भी चाहिए।

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