लोग अपनी मूर्खता से जंगल बर्बाद कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा
मौजूदा मामला तेलंगाना राज्य से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएस सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भाटी की बेंच ने फैसला देते हुए जीवन के अस्तित्व में वन के महत्व को बल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वन धरती को जीवन देता है और कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलकर जीवन के तमाम रूपों के स्थिर विकास के लिए पर्यावरण प्रदान करता है।
नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के असर से मुक्ति को मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता देने के एक हफ्ते बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन का हानिकारक प्रभाव देश के भविष्य पर पड़ सकता है। वन स्वार्थहीन सेवा देते हैं, लेकिन इंसान उन्हें अपनी मूर्खता की वजह से नष्ट कर रहा है और इस तरह अनजाने में एक तरह से अपने आपको ही नष्ट कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई की रिपोर्ट का हवाला भी दिया। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट ऑन करेंसी एंड फाइनैंस शीर्षक से आरबीआई की जो रिपोर्ट है, वह बेहद चिंता का विषय है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसका असर देश के भविष्य पर होगा
वन स्वार्थहीन सेवा देते हैं, लेकिन इंसान उन्हें अपनी मूर्खता की वजह से नष्ट कर रहा है और इस तरह अनजाने में एक तरह से अपने आपको ही नष्ट कर रहा है।
मौजूदा मामला फॉरेस्ट की जमीन को एक प्राइवेट जमीन के तौर पर घोषित करने से संबंधित था। तेलंगाना की हाई कोर्ट ने अपने रिव्यू आदेश में प्राइवेट पार्टी के फेवर में जमीन दे दी, जबकि उसके पहले के आदेश में कहा गया था कि जमीन वन की है। इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले को तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को पलट दिया और इस तरह प्राइवेट पार्टी का वन की जमीन पर दावा खारिज हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई की रिपोर्ट को कोट किया जिसमें कहा गया है कि भारत में बढ़ते तापमान और मानसून के बदलते पैटर्न यह दर्शाता है कि क्लाइमेट में बदलाव हो रहा है। अर्थव्यवस्था को अपने जीडीपी में 2.8 फीसदी गिरावट का अनुमान है। 2050 तक देश की आधी आबादी के लिए उसके जीवन यापन में मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है। क्लाइमेट चेंज के कारण भारत 2100 तक हर साल जीडीपी का 3 फीसदी से लेकर 10 फीसदी तक गंवा सकता है। साथ ही कहा गया है कि श्रम उत्पादकता की हानि हो रही है। यह भी गर्मी से संबंधित कारकों के कारण हो रहा है। मौसम की गर्मी से विश्वस्तर पर 80 मिलियन लोगों की नौकरी जा सकती है और उसमें भारत की 34 मिलियन नौकरी खतरे में होगी।
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