सिविक सेंटर में नहीं लगेगा जाम, चौड़ी होगी सड़क

भिलाई । टाउनशिप के मुख्य मार्केट सिविक सेंटर में चौपाटी की ओर से आने वाली सड़क पर अब जाम नहीं लगेगा। यहां पर दो लेन की सड़क का निर्माण होगा। निर्माण कार्य शुरू करने से पहले भिलाई इस्पात संयंत्र के नगर प्रशासन विभाग ने गुरुवार को उक्त स्थान से रेलिंग और अवैध कब्जा हटाने कार्रवाई की। एक कब्जा हटाया गया। अन्य कब्जाधारियों को एक दिन की मोहलत दी गई है। लंबे समय से उक्त स्थान पर लगने वाले जाम से लोग परेशान थे और सड़क चौड़ीकरण की मांग भी हो रही थी।
भिलाई इस्पात संयंत्र के नगर प्रशासन विभाग द्वारा सिविक सेंटर में चौपाटी तथा मिनी मार्केट के बीच की व्यस्ततम सड़क का चौड़ीकरण किया जाना है। कई वर्षो सें इस सड़क के चौडीकरण की मांग आफिसर्स एसोसिएशन, विभिन्ना ट्रेड यूनियन, व्यापारी संघ द्वारा की जा रही थी। वर्तमान सड़क के ठीक किनारे अवैध कब्जा होने की वजह से मामला अटका हुआ था।
पहले ही बसा चुके हैं मिनी मार्केट में : सिविक सेंटर में अवैध चौपाटी भी इस जाम की बड़ी वजह है। बीएसपी के प्रवर्तन विभाग द्वारा समय समय पर इन अवैध कब्जो को हटाने के लिए नोटिस एवं समझाइस दी जाती रही परंतु राजनीतिक प्रभाव के कारण मामला अटक जाता था। भिलाई इस्पात प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि हम किसी के रोजगार पर प्रहार नहीं कर रहे। 21 जुलाई 1996 को प्रबंधन द्वारा इसी स्थान सें ठेले खोमचे व्यवसायी को मिनी मार्केट बनाकर व्यवस्थापित किया था। जिसे दुकानदारों ने निजी हित के लिए बेच दिया गया और फिर पुरानी जगह पर काबिज हो गए।
अधिक संख्या में हो कुटुंब न्यायालयों की स्थापना
दुर्ग। बुधवार को संसद में छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सदस्य सुश्री सरोज पाण्डेय ने कुटुंब न्यायालय संशोधन विधेयक पर चर्चा की। चर्चा में उन्होंने कुटुंब न्यायालयों की महत्ता और उसके समाज में पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बात की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश के सभी कुटुंब न्यायालयों में लंबित केस की संख्या लगभग 11.49 लाख है। यह 11.49 लाख केस नहीं है यह परिवार है जो किसी न किसी कारण से मानसिक संताप और दुख झेल रहे है। उन्होंने कहा कि कुटुंब न्यायालयों में आने वाले प्रकरणों को सुलझाने के लिए एक समय सीमा भी तय की जाए जिससे कोई भी परिवार और उसके सदस्य उस संताप से जल्द से जल्द बाहर निकल सकें।
यह भी उचित होगा कि देश में ज्यादा से ज्यादा कुटुंब न्यायालयों कि स्थापना की जाए जिससे कि पारिवारिक विवादों का निपटार जल्द से जल्द हो और परिवार में शांति स्थापित की जा सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश और नागालैंड के कुटुंब न्यायालयों को विधिमान वैद्यता प्राप्त होने से इन प्रदेश के लोगों को भी इन न्यायालयों का लाभ मिल सकेगा और इनके पारिवारिक विवादों को जल्द निपटारे की राह खुल सकेगी। ज्ञात हो कि कुटुंब न्यायालयों की राज्यों में स्थापना के लिए केंद्र द्वारा अधिसूचना जारी किया जाना आवश्यक है लेकिन हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में केंद्र द्वारा ऐसी अधिसुचना जारी नहीं की गयी थी। बिना अधिसूचना के इन न्यायालयों को विधिमान नहीं माना जा सकता था इसीलिए इस संशोधन को लाने की आवश्यकता पड़ी है। सुश्री पांडेय ने कहा कि इस संशोधन के पारित होने के पश्चात इन दो राज्यों के कुटुंब न्याययलयों को इनके स्थापना के दिवस से विधिमान रूप से मान्यता मिल जाएगी और यह भविष्य में भी सुचारु रूप से कार्य करते रहेंगे।
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