अमरकंटक मंदिर के रोमांचक तथ्य, इतिहास और मनमोहक दृश्य
अमरकंटक मंदिर घूमने के लिए प्रमुख स्थलों में से एक है। यह मध्यप्रदेश के जिले अनूपपुर और शहडोल के तहसील पुष्पराजगढ़ में मेकल की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। यह 1065 मीटर की ऊंचाई पर समाया हुआ है। पहाड़ों और घने जंगलों मे बीच मंदिर की खूबसूरती का आकर्षण कुछ अलग–सा ही प्रतीत होता है। यह छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा है। यह जगह विंध्य, सतपुड़ा, और मैदार की पहाड़ियों का मिलन स्थल है, जिसका दृश्य मन मोह लेने वाला होता है। अमरकंटक तीर्थराज के रूप में भी काफ़ी प्रसिद्ध है।
अमरकंटक के पास दर्शनीय स्थल
प्रमुख सात नदियों में से नर्मदा नदी और सोनभद्रा नदियों का उद्गम स्थल अमरकंटक है। यह आदिकाल से ही ऋषि–मुनियों की तपो भूमि रही है। नर्मदा का उद्गम यहां के एक कुंड से और सोनभद्रा के पर्वत शिखर से हुआ है। यह मेकल पर्वत से निकलती है, इसलिए इसे मेकलसुता भी कहा जाता है। साथ ही इसे ‘माँ रेवा‘ के नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा नदी यहां पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। इस नदी को “मध्यप्रदेश और गुजरात की जीवनदायनी नदी” भी कहा जाता है क्योंकि यह नदी दोनों ही राज्यों के लोगों के काम आती है। यह जलोढ़ मिट्टी के उपजाऊ मैदानों से होकर बहती है, जिसे नर्मदा घाटी के नाम से भी जाना जाता है। यह घाटी लगभग 320 किमी. में फैली हुई है।
कहा जाता है कि पहले उद्द्गम कुंड चारों ओर बांस से घिरा हुआ था। बाद में यहाँ 1939 में रीवा के महाराज गुलाब सिंह ने पक्के कुंड का निर्माण करवाया। परिसर के अंदर माँ नर्मदा की एक छोटी सी धारा कुंड है जो दूसरे कुंड में जाती है, लेकिन दिखाई नहीं देती। कुंड के चारों ओर लगभग 24 मंदिर है। जिनमें नर्मदा मंदिर, शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्री राम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, दुर्गा मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, श्री राधा कृष्णा मंदिर, शिव परिवार, ग्यारह रुद्र मंदिर आदि प्रमुख है।
हर साल अमरकंटक में नर्मदा जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस अवसर पर पूरे अमरकंटक को सजाया जाता है। रात को नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर महा आरती की जाती है। साथ ही एक विशाल मेला भी लगता है, जिसमें दूर–दूर से भक्त आते हैं।
इस तरह से पहुंचे
हवाईजहाज से : मध्यप्रदेश में सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर डुमना हवाईअड्डा है। यह 245 किलोमीटर दूर है। रायपुर और छत्तिसगढ़ 230 किलोमीटर दूर है। वहां से आप कैब या बुक की हुई गाड़ी से अमरकंटक तक पहुंच सकते हैं।
सड़क से : अमरकंटक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सड़कों से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए सबसे अच्छी सड़क बिलासपुर है। जबलपुर 245 किमी, बिलासपुर 125 किमी, अनूपपुर 72 किमी और शहडोल 100 किमी है।
रेल से : यहां पहुंचने के लिए बिलासपुर रेल सबसे सुविधाजनक है। अन्य रेलमार्ग पेडरा रोड और अनूपपुर से है।
यह जगह प्रकृति प्रेमी से लेकर इतिहासकारों के लिए भरपूर है। आपको यहां रहने के लिए कल्याण आश्रम, वर्फानी आश्रम, अरण्डी आश्रम सहित कई प्राइवेट होटल भी है। अक्टूबर से मार्च के महीने में यहां आने पर आपको यहां की कुछ अलग ही खूबसूरती नज़र आएगी। जून–जुलाई में हुई बारिश से यहां के जलप्रपात भर जाते हैं। हवाएं और भी ज़्यादा ठंडी और सांसे एकदम गहरी महसूस होती है। वैसे तो आप यहां साल में कभी–भी आ सकते हैं लेकिन अक्टूबर से मार्च के बीच यहां का दृश्य बेहद अलग और अतुलनीय होता है।
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