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तो रूक जाएगा समय? थम जाएंगे स्मार्टफोन और कंप्यूटर्स? वैज्ञानिकों ने बताया 2029 में वाला है संकट! थमने वाला है समय?

ग्लोबल वार्मिंग का धरती के पर्यावरण पर काफी असर हो रहा है. ध्रुवीय बर्फ लगातार फिघल रहे हैं, दुनिया का कई हिस्सा पेय जल के संकट से जूझ रहा हैं, नई-नई महामारियां जन्म ले रही हैं. हाल ही में कैलिफोर्निया में छपी एक स्टडी के अनुसार ध्रुवों के बर्फ पिघलने से पृथ्वी का घूर्णन धीमा हो रहा है, जिससे धरती के समय को मापने के तरीका प्रभावित हो सकता है.

इस स्टडी के लेखक डंकन एग्न्यू, जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के भूभौतिकीविद् हैं, ने कहा कि ध्रुवों पर बर्फ के तेजी से पिघलने से उन जगहों पर बदलाव आता है जहां पृथ्वी का द्रव्यमान केंद्रित है. इसके कारण पृथ्वी के कोणीय वेग को प्रभावित करता है. ध्रुवों पर बर्फ की कमी से भूमध्य रेखा पर अधिक द्रव्यमान को जन्म देगी, जिससे धरती की गति प्रभावित होगी.

ग्लेशियरों का बर्फ तेजी से पिघल रहा
अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड, जैसे बड़े ग्लेशियरों का जमा हुआ पानी पिघल रहा है. यह ठोस बर्फ तरल पदार्थ बनकर धरती के अन्य हिस्सों में जा रहा है, जो कि बहकर पृथ्वी के भूमध्य रेखा तक पहुंच रहा है. इस अध्ययन से पता चला है कि मनुष्य कैसे कुछ ऐसा करने में सक्षम है जिसके बारे में कोई कभी सोचा भी नहीं सकता था कि यह मानवता के नियंत्रण में है.

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