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दुर्ग जिला अस्पताल में आग लगी तो कंडम व्यवस्था से बचाव होना मुश्किल

दुर्ग । दुर्ग जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल दुर्ग में फायर सिस्टम का होज पाइप ही गायब है। आग लगने की स्थिति में इस पाइप के माध्यम से ही पानी डाला जाना है। लेकिन यह पाइप गायब होने से आगजनी होने पर उस पर काबू पाने किए जाने वाले प्रयासों को लेकर ही सवाल उठने लगे है।जबकि इसकी जानकारी बकायदा अस्पताल के उच्च प्रबंधन को भी है। इसके बाद भी स्थिति में कोई भी सुधार नही हुआ है। जिला अस्पताल 425 बिस्तर वाला है। इसके अलावा यहां पर अन्य विभाग भी है यदि कभी आगजनी की घटना होने पर काफी दर्दनाक स्थिति उत्पन्ना हो जाएगी। कोई किसी को बचा भी नही पाएगा।

जिला अस्पताल में आगजनी की घटना से निपटने फायर सिस्टम लगाया गया हैं। अस्पताल परिसर में बनी दो अंडर ग्राउंड पानी टंकियां है। जिससे पूरा फायर सिस्टम जुड़ा हुआ हैं। अस्पताल भवन में पाइप लाइन का विस्तार किया गया है और स्प्रिंकलर भी लगाया गया है। इसके अलावा अलार्म की भी व्यवस्था है,आगजनी की घटना होने पर इसके माध्यम से लोगों को सचेत किया जा सकता है।

जिला अस्पताल परिसर की दो दीवारों पर होज बाक्स लगाया गया है जिसके

भीतर होज पाइप रखा जाता है। लेकिन दोनों होज बाक्स में रखा गया होज पाइप गायब हो गया है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि होज बाक्स अस्पताल के खुले परिसर की दीवाल पर लगाया गया है जिसकी हमेशा निगरानी कर पाना संभव नहीं है। इसके पहले भी दो बार अज्ञात चोर होज पाइप चोरी कर ले जा चुके हैं।

भविष्य निधि का पौने दो करोड़ रुपये जमा नहीं

दुर्ग निगम में ठेका पर काम करने वाले मजदूरों के वेतन से भविष्य निधि फंड की कटौती की गई। लेकिन राशि उनके खाते में जमा नहीं कराई गई। इस मामले की शिकायत सफाई कामगार मजदूर संघ ने भविष्य निधि संगठन रायपुर से की थी। मामले में उक्त संगठन द्वारा दुर्ग नगर निगम प्रशासन से जवाब मांगा गया है।

सफाई कामगार मजदूर संघ के प्रदेशाध्यक्ष बाल्मिकी सिंह ने बताया कि दुर्ग निगम में वर्ष 2012 से 2016 तक सफाई कार्य, उद्यानिकी, सिविल कार्य के लिए अलग-अलग स्वसहायता समूहों, संस्थानों को ठेका दिया गया था। वहीं प्रदेश के नगरीय निकायों में वर्ष-2009 से भविष्यनिधि अधिनियम प्रभावशील था। इसके अंतर्गत अनुबंधित ठेकेदारों का पीएफ कोड होना एवं कार्यरत ठेका मजदूरों के वेतन से भविष्यनिधि फंड की कटौती कर भविष्यनिधि फंड का लाभ देना था। भविष्यनिधि संगठन रायपुर के ओर से उपरोक्त समयावधि के लिए निगम प्रबंधन के तरफ से ठेकेदारों को किए गए भुगतान का आंकलन करते हुए एक करोड़ 73 लाख 74 हजार 335 रुपये भविष्य निधि फंड की राशि भविष्यनिधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों के तहत जमा करना नहीं पाया गया है।

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