अब होगी गोरिल्ला वॉर... चीन को नाको चने चबवा सकती है ताइवान की सी ड्रैगन फोर्स

चीन कभी भी रूस वाली गलती करने से बचेगा. क्योंकि उसे पता है कि ताइवान की स्पेशल फोर्सेस अपनी जमीन पर बेहद घातक होती हैं. इन फोर्सेस को पता है कि कहां हमला करना है. कैसे करना है. ताइवान के पास कई ऐसी फोर्सेस हैं जो एलीट कमांडो कैटेगरी की घातक टुकड़ियां हैं. लेकिन इनमें सबसे खतरनाक है सी ड्रैगन फ्रॉगमेन इन्हें सिर्फ फ्रॉगमेन भी बुलाया जाता है. इस फोर्स का गठन 1949 में अमेरिका की मदद से किया गया था
इतना ही नहीं इनकी ट्रेनिंग भी अमेरिका के नेवी सील्स कमांडो के साथ होती है. इस टीम का असली नाम है 101 एंफिबियस रीकॉनसेंस बटालियन इस यूनिट को आमतौर पर अंडरवॉटर ऑपरेशंस के लिए बनाया गया था लेकिन ये अर्बन वॉरफेयर, जंगल वॉरफेयर और गोरिल्ला युद्ध में सक्षम हैं. इनका हमला इतना खतरनाक और तेज होता है कि दुश्मन को पता भी नहीं चलता कि हमला करने वाले कहां गए.
सी ड्रैगन फ्रॉगमेन की सबसे बड़ी खासियत है छिप कर घातक हमला करना. एक बार ये किसी मिशन पर निकल गए तो उसे पूरा करके ही मानते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि चीन से अगर युद्ध होता है तो ये खास टीम चीन के सैनिकों की हालत पस्त कर देगी. ये सिर्फ सैनिकों की ही नहीं बल्कि चीन की आर्टिलरी, तोप, बख्तरबंद वाहनों की भी धज्जियां उड़ा देगी
सी ड्रैगन फ्रॉगमेन का असली मकसद है कि निगरानी, जासूसी, घुसपैठ, सर्विलांस, तटीय सुरक्षा और कोवर्ट ऑपरेशंस इस टीम में जो जवान चुने जाते हैं, उनके चुनने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है. चुने जाने के बाद इनकी 15 हफ्ते की ट्रेनिंग होती है. जिसे द आयरन मैन रोड कहते हैं. इसके बाद पांच दिन क्वालिफिकेशन कोर्स होता है.
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