मार्च में 14.55% रही महंगाई, खाने-पीने की चीजों और ईंधन के दाम बढ़ने का असर
लगातार 12वें महीने डबल डिजिट में थोक महंगाई दर
खाने-पीने के सामान, ईंधन और बिजली के दाम में इजाफा होने से थोक महंगाई मार्च में लगातार 12वे महीने डबल डिजिट में बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई दर मार्च में 14.55% पर पहुंच गई। इससे पहले ये इस साल फरवरी में 13.11% पर थी। अप्रैल 2021 से थोक महंगाई डबल डिजिट में बनी हुई है। एक्सपर्ट्स के अनुसार खाने-पीने की चीजों और ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ रही है।
ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर 34.52% पर पहुंची
महीने दर महीने आधार पर मार्च महीने में खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर 8.47% से बढ़कर 8.71% पर आ गई है। वहीं प्राइमरी आर्टिकल्स की थोक महंगाई दर फरवरी 13.39% से बढ़कर 15.54% पर आ गई है। जबकि ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर फरवरी के 31.50% से बढ़कर 34.52% पर आ गई है। हालांकि महीने दर महीने आधार पर मार्च महीने में सब्जियों की थोक महंगाई दर पर कुछ राहत मिलती नजर आई है और यह 26.93% से घटकर 19.88% पर आ गया है।
- मार्च में बनी बनाई वस्तुओं (मैन्यूफैक्चरर्ड प्रोडक्ट्स) की थोक महंगाई दर फरवरी के 9.84% से बढ़कर 10.71% पर आ गई है।
- आलू की थोक महंगाई दर फरवरी के 14.78% से बढ़कर 24.62% पर रही है।
- मार्च में प्याज की महंगाई दर -26.37% से बढ़कर -9.33% पर आ गई है।
- अंडे, मास और मछली की महंगाई दर 8.14 फीसदी से बढ़कर 9.42% पर आ गई है।
- ऑल कमोडिटी इंडेक्स में महीने दर महीने आधार पर 2.69% की, वहीं प्राइमरी आर्टिकल इंडेक्स में 2.10% की बढ़त देखने को मिली।
- फ्यूल एंड पावर इंडेक्स में 5.68% की, मैन्यूफैक्चरर्ड प्रोडक्ट्स इंडेक्स में 2.31% और फूड इंडेक्स में 0.54% की बढ़त देखने को मिली है।
17 महीने के हाई पर पहुंची रिटेल महंगाई
खाने-पीने के सामान से लेकर कपड़े और जूते तक महंगे होने से महंगाई 17 महीने के पीक पर पहुंच गई हैं। 12 अप्रैल को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर मार्च में बढ़कर 6.95% हो गई। खाने-पीने के सामान की महंगाई 5.85% से बढ़कर 7.68% हो गई।
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं। दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07%, कपड़े की 6.53% और फ्यूल सहित अन्य आइटम की भी भागीदारी होती है।
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