अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ 105 (बी), 505 (2) के तहत मामला दर्ज, जानिए इन धाराओं के तहत क्या है सजा का नियम
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने एक दिन पहले बुधवार को एक टीवी न्यूज चैनेल से बातचीत करते वक्त राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपत्नी कहकर संबोधित किया था। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मध्य प्रदेश के डिंडोरी में अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 153बी और 505(2) के तहत मुकदमा दर्ज करवाया है। डिंडोरी के एएसपी जगन्नाथ मार्कन ने बताया कि एफआईआर को दिल्ली भेजा जा रहा है। हम आपको बताते हैं कि इन धाराओं के तहत अधीर रंजन चौधरी को क्या कोर्ट क्या सजा सुना सकती है ?
संज्ञेय औरअजमानतीय अपराध
अधीर रंजन चौधरी को आईपीसी की धारा 153 (बी) और 505 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हम एक-एक करते आपको दोनों धाराओं के बारे में बताते हैं। धारा 153 (बी) तब लगाई जाती है जब राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाले भाषण देना या लांछन लगाना जैसी बात कही गई हो। यह भी अजमानतीय है (नॉन बेलेबल), और संज्ञेय है । इसमें 3 साल की जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। यदि ऐसा अपराध सार्वजनिक पूजा स्थल पर किया जाए, तो यह अपराध गंभीर हो जाता है। इसमें 5 वर्ष की जेल और जुर्माना हो सकता है। यह भी संज्ञेय किस्म का अपराध है और यह अजमानतीय भी है।
क्या हो सकती है सजा
इस धारा की जमानत कोर्ट से ही होती है। पुलिस इस धारा के आरोपी को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती हैं। ऐसे अपराधों को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट सुनता है। चूंकि अधीर रंजन चौधरी ने एक राष्ट्रपति के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की है तो इसमें राष्ट्रीय एकता वाला भाषण देना, या लांछन लगाने का जुर्म हो सकता है। अब कोर्ट इस बात की पुष्टि करेगा कि ये किस मामले का जुर्म है। इसके बाद आरोप की गंभीरता देखते हुए कोर्ट कोई आदेश पारित करेगा।
पांच साल तक की सजा का प्रावधान
इस मामले में 502 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। ये धारा तब लगती है जब विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से झूठे बयान आदि फैलाना। शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से पूजा के स्थान आदि में झूठे बयान या भाषण आदि देना। इसी धारा के तहत आते हैं। ये गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है।
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