जिस गांव में एक भी दुधारू पशु नहीं था, अब वह गांव मिल्क रूट से जुड़ रहा
कोंडागांव। ग्राम पंचायत बोलबोला की कहानी की शुरूआत 29 अप्रैल 2022 से होती है। विश्व पशु चिकित्सा दिवस का अवसर था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस दिन पशु चिकित्सकों को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ को दुग्ध उत्पादन-व्यवसाय में अग्रणी बनाने का आव्हान किया था। इससे प्रेरित होकर कोंडागांव जिला प्रशासन ने उन गाँवों के लिए रणनीति बनाई, जहां दुग्ध उत्पादन नहीं होता था। जिले के बोलबोला ग्राम पंचायत में सामूहिकता, लगन और प्रशासन के सहयोग से ऐसा परिवर्तन आया कि जहां कोई दूधारू पशु था ही नहीं अब वहां दुग्ध का भरपूर उत्पादन हो रहा है, बल्कि जिला मुख्यालय और आस पास के गांवों को आपूर्ति की जा रही है। ग्राम बोलबोला अब मिल्क रूट से जुड़ने वाला है। एक ऐसे गाँव के लिए जहाँ एक भी दुधारू पशु नहीं था, अब आजीविका के लिए सबसे बड़े साधन के रूप में पशुपालन का बदलता जाना वहां के लिए क्रांति से कम नहीं है।
इस बदलाव के पीछे छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना के तहत बनाया गया गौठान की महती भूमिका है। आदिवासी बहुल कोण्डागांव जिले में दुग्ध उत्पादन की कमी को देखते हुए जुलाई 2022 शासन ने हमर गरूवा हमर गौठान कार्यक्रम चलाया गया। पहले चरण में कोण्डागांव के नजदीक बोलबोला ग्राम पंचायत को चुना गया। कोण्डागांव जिले में मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गाय खरीदने के लिए राशि दी गई।
पशुपालन विभाग के अधिकारी डॉ. नीता मिश्रा बताती हैं कि राज्य में की गई 19वीं पशु संगणना में बोलबोला ग्राम पंचायत में दूधारू गाय नहीं थी। लेकिन गांव में गौठान बनने से लोग गौपालन के लिए आगे आए और यहां पशुपालन विभाग द्वारा गौठानों में महिला समूह को गौपालन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। यहां पर गौठान से जुड़ी महिला समूहों को गौ-पालन के लिए तैयार किया गया। इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण और ऋण अनुदान सहित गौठानों में चारा पानी और टीकाकरण सहित कई सुविधाएं उपलब्ध करायी गई। इन महिला समूहों के साथ उनके परिवार के पुरूष सदस्य तथा गांव के अन्य ग्रामीण भी गौपालन करने और सहयोग करने के लिए आगे आए। इसके साथ ही गाय खरीदने और दुग्ध चिंलिंग प्लांट लगाने के लिए हितग्राहियों को ऋण अनुदान दिया गया। जिला प्रशासन द्वारा पशुपालन के लिए डीएमएफ और मनरेगा से शेड तैयार कराया गया। समूह के सदस्य तथा अन्य ग्रामीणों को दुग्ध चिलिंग प्लांट के संचालन के लिए ओडिशा में प्रशिक्षण भी दिया गया।
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