रविशंकर विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह नेत्रहीन बेटी का अटलजी पर शोध, मजदूर पिता ने लिखी थीसिस, रविवि ने दी डॉक्टरेट
छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का 26वां दीक्षांत समारोह इसलिए खास हुआ, क्योंकि विवि ने नेत्रहीन देवश्री भोयर को डाक्टरेट की उपाधि उस थीसिस पर दी, जो गाइड से अनुमति लेकर उसके मजदूर पिता गोपीचंद ने लिखी थी। जैसे ही मंच से देवश्री का नाम पुकारा गया, सभी का ध्यान उनकी तरफ गया क्योंकि नेत्रहीन की रिसर्च और पिता के योगदान ने दिल को छू लिया। रायपुर की इस बेटी ने पाॅलिटिकल साइंस में एमए करने के बाद भारतीय राजनीति में अटलबिहारी वाजपेयी के योगदान पर रिसर्च किया है।
पिता दसवीं पास, दिनभर मजदूरी करने के बाद रात में थीसिस पर काम, बेटी बोलती जाती थी वह लिखते जाते थे
रायपुर में जनता कालोनी-गुढ़ियारी की देवश्री भोयर जन्म से नेत्रहीन हैं, लेकिन पढ़ाई का शौक बचपन से रहा। पाॅलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद देवश्री ने रिसर्च करने की मंशा जताई तो पिता ने साथ दिया। देवश्री ने भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान पर रिसर्च दुर्गा महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ सुभाष चंद्राकर के गाइडेंस पर शुरू किया।
चूंकि मेरे लिए थीसिस लिखना मुश्किल था, इसलिए पापा गोपीचंद ने इसका भी हल निकाला। उन्होंने गाइड से अनुमति लेकर बेटी की थीसिस लिखना शुरू किया। दिनभर मजदूरी और रात में थीसिस लेखन। देवश्री बोलती जाती थी, वह लिखते जाते थे। कई बार रात में 12'2 घंटे तक लिखते रहे। दिक्कत इसलिए नहीं हुई क्योंकि वह 10वीं पास हैं।
इसरो के वैज्ञानिक प्रो राजन आए रविवि के समारोह में
पं. दीनदयाल ऑडिटोरियम में आयोजित दीक्षांत समारोह में 136 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल और 308 स्काॅलर्स को पीएचडी धारकों को उपाधि दी गई। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रो. वाई एस राजन मौजूद रहे। प्रो. राजन ने ही देवश्री को उपाधि दी। प्रदेश गौ-सेवा आयोग अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास को भी डी-लिट की उपाधि दी गई।
कोरोना काल में दीक्षांत नहीं इस बार बांटे 3 साल के मेडल
रविवि के दीक्षांत में विवि गोल्ड मेडल के अलावा दानदाताओं के नाम से भी मेडल दिए जाते हैं। बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए आदि की टॉप'0 लिस्ट में पहले स्थान पर आने वाले स्टूडेंट्स को यह मेडल दिए जाते हैं। चाहे वह छात्र रविवि अध्ययनशाला में पढ़ रहे हो या फिर इससे संबद्ध कॉलेजों के छात्र हो। कोरोना काल में दीक्षांत का आयोजन नहीं हुआ। इसलिए इस बार तीन साल के टॉपरों के बीच मेडल बांटे गए हैं।
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