कारगिल युद्धवीरों ने बताई जंग की कहानी, तब राशन से ज्यादा जरूरी था गोला बारूद
रायपुर । वर्ष'999 में भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध की स्थिति कुछ ऐसी ही थी, जिसमें जवानों के लिए राशन से ज्यादा गोला-बारूद जरूरी थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत के लिए यह सबसे बड़े युद्धों में शामिल रहा। घुसपैठियों को सीमा से खदेड़ते हुए भारतीय जवानों ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया। परिणामस्वरूप कठिन संघर्ष और सैकड़ों जवानों के बलिदान के बाद 26 जुलाई को भारतीय सेना ने अपने संघर्ष को इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कराया। सेना की इसी जीत को याद करने व जवानों के बलिदान को नमन करने प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत-पाक युद्ध 1971 और 1999 कारगिल युद्ध में छत्तीसगढ़ के कई जवानों ने भी जीत में अहम भूमिका निभाई। इन्ही वीरों से नईदुनिया ने खास बातचीत की, सेवानिवृत्त जवानों ने युद्ध के समय की सच्ची घटनाओं के बारे में बताया कि उस समय हमारे लिए राशन से ज्यादा गोला-बारूद जरूरी था।
युद्ध के पहले कांधे पर बैठाकर लोगों ने दी थी विदाई
कारगिल युद्ध के विजय अभियान में एक नाम रायपुर जिले के विजय कुमार डागा का भी शामिल हैं। वे युद्ध के समय कारगिल के तुरतुक सेक्टर में महार रेजिमेंट के 5112 हिल में पदस्थ थे। उन्होंने बताया कि जब युद्ध का बिगुल बजने वाला था, तब वे छुट्टियों में घर आए हुए थे। उन्हें पत्र आया कि पाकिस्तान के घुसपैठियों ने सीमा पर कब्जा जमा लिया है और आगे बढ़ रहे हैं। तत्काल सीमा पर पहुंचना है। सूचना पाते ही वे निकल पड़े। तब रायपुर के जयस्तंभ चौक से रेलवे स्टेशन तक कांधे में बैठाकर उन्हें विदाई दी गई। युद्ध का मंजर बहुत ही भयानक था। 60 दिनों तक चले युद्ध में करीब 550 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए, वहीं 1200 से ज्यादा जवान घायल हुए। युद्ध के दौरान हमे पता था जीत हमारी ही होंगी। योगेंद्र यादव ने जब टाइगर हिल पर तिरंगा लहराया तो वो दिन किसी पर्व से कम नहीं था।
1971 में भारत पाक युद्ध में गंवाया एक पैर
कर्नल जे.एस.एस कक्कड़ ने बताया कि घर मे पिता जी सेना में थे। उन्हीं से प्रभावित होकर सेना में जाने का साहस दिखाया। वर्ष'971 में हुए भारत-पाक के दौरान मैंने भी दुश्मनों से आर-पार की लड़ाई की। दुश्मनों से लड़ते-लड़ते उनका एक पैर कटकर अलग हो गया। इस बलिदान के लिए पिताजी मुझ पर हमेशा गर्व करते हैं। साथ ही मेरे शहर और परिवार को भी गर्व हैं। सेवानिवृत्त कर्नल जे.एस.एस कक्कड़ ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष-2030 तक हमारी सेना सबसे बड़ी व ताकतवर सेना बनकर उभरेगी।
सुकमा में मिला था बलिदान
वीरगति को प्राप्त भारत सिंह जुर्री के बलिदान के लिए सम्मान प्राप्त करने आए उनके चाचा दिनेश कुमार जुर्री ने बताया कि वर्ष 2006-07 में हुए जगरगुंडा सुकमा नक्सली हमले में भारत सिंह बलिदान हुए थे। जब पुलिस ने घर फोन करके घटने की जानकारी दी तब सभी स्तब्ध रह गए। उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था। उनकी दो बहन और एक छोटा भाई खबर से आहत थे। घर में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। स्वजनों के लिए यह बेहद ही कठिन समय था। इस हमले में करीब 12 लोग बलिदान हुए थे।
कारगिल दिवस के दिन जवानों का सम्मान
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद छत्तीसगढ़ के बैनर तले 26 जुलाई को कारगिल दिवस के दिन पूर्व सैनिक और राज्य पुलिस के जवानों के परिवारों और सेवानिवृत्त अधिकारियों का सम्मान किया गया। समता कालोनी स्थित महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल कालेज में आयोजित समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुति और देशभक्ति गीतों ने लोगों को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त कर्नल जे.एस.एस कक्कड़ सहित विशेष अतिथि के रूप में रविंद्र सिंह (वाइस प्रेसिडेंट प्रकाश इंडस्ट्रीज), गौतम ओझा (धर्म जागरण नगर संयोजक), पूर्व सैनिक प्यारे लाल प्रजापति, ओम प्रकाश साहू (प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण), गौरीशंकर श्रीवास (प्रवक्ता बीजेपी), यूके त्यागी (मैनेजर डीजीआर छत्तीसगढ़) ब्रिगेडियर रिटायर्ड पीके लहरी, कैप्टन नेवी रिटायर्ड अनुराग तिवारी, ब्रिगेडियर एच.एस. अग्रवाल, सतीश मिश्रा (पाठ्य पुस्तक निगम छत्तीसगढ़) व देश के लिए बलिदान देने वाले परिवार से वीरमाता भारती दत्ता, शहीद मेजर सत्य प्रदीप दत्ता, वीरमाता शकुंतला पांडे, शहीद लेफ्टिनेंट राजीव पांडे (वीर चक्र सम्मानित), वीरमाता कुमारी बघेल शहीद गनर चिरंजीव बघेल, अमिताभ दुबे (ग्रीन आर्मी रायपुर) उपस्थित रहे।
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