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सूर्यकांत तिवारी ने अदालत को बताया, ED ने समीर विश्नोई और अन्य मामले में उसको भी अभियुक्त बताया

छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन में अवैध वसूली के आरोपों से घिरे कारोबारी सूर्यकांत तिवारी ने शनिवार को मनी लांड्रिंग मामलों के स्पेशल जज अजय सिंह राजपूत की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय-ED ने उसे गिरफ्तार किया और 12 दिन की रिमांड पर लेकर चली गई। इससे पहले अदालत को दिये गये आवेदन में सूर्यकांत तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर षड़यंत्र का आरोप लगाया। उसने कहा, उसकी जान को खतरा है सूर्यकांत तिवारी ने अदालत को बताया, ED ने समीर विश्नोई और अन्य मामले में उसको भी अभियुक्त बताया है। वह लगभग 20 सालों से प्रदेश में कारोबार कर रहा है। पूर्ववर्ती सरकार से भी उसके अच्छे संबंध रहे हैं। वह अडानी समूह के लिए ट्रांसपोर्ट का काम करता है और उसी से आय अर्जित करता है। इससे पहले आयकर विभाग की कार्यवाही में उसने पूरा सहयोग किया है। वह ED की कार्यवाही में भी सहयोग करना चाहता है। वह वैधानिक रूप से कमाई गई संपत्ति का ब्यौरा ED को देने में सक्षम है, लेकिन राजनीतिक रूप से प्रेरित इस मामले में ED के अधिकारी उसकी सच्चाई को रिकॉर्ड नहीं करेंगे। तिवारी की ओर से कहा गया, ED ने जो मामला दर्ज किया है वह राजनीति से प्रेरित है।राजनीतिक लाभ उठाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सोशल मीडिया में बयान देते आ रहे हैं। एक षडयंत्र के बाद ही यह मामला ED में रजिस्टर कराया गया है। सूर्यकांत ने आशंका जताई है कि ED के अधिकारी पूछताछ के दौरान उसके साथ थर्ड डिग्री का बर्ताव करेंगे। उसको अपनी जान का भी खतरा है। ऐसे में वह चाहता है कि उसे न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाए। न्यायिक अभिरक्षा में ही वकील की मौजूदगी में उससे पूछताछ की जाये। गिरफ्तारी के बाद सूर्यकांत ने अदालत से मांग की कि उससे पूछताछ कैमरे के सामने हो। उसको पूरे समय सीसीटीवी कैमरे दायरे में रखा जाए। अदालत से बाहर जाते हुए भी सूर्यकांत ने मीडिया से कहा, उसकी जान को खतरा है। यह खतरा किससे है वह समय आने पर बताएगा।चुपचाप पेश हुआ, अदालत ने ED को बताया

सूर्यकांत तिवारी शनिवार को 3.30 बजे के करीब अपने वकील फैजल रिजवी के साथ चुपचाप ED की विशेष अदालत में पेश हो गया। अदालत ने पूछा तो बताया गया, ED ने उसे अभियुक्त बनाया है, इसलिए वह अदालत में सरेंडर कर रहा है। अदालत ने ED के वकील को बुलाया। काफी देर बाद ED ने अरेस्ट मेमो मंगाकर अदालत कक्ष में ही गिरफ्तार दिखाया और पूछताछ के लिए 14 दिन की रिमांड मांगी। अदालत ने 12 दिन की रिमांड मंजूर किया।

अधिवक्ता के सामने पूछताछ की शर्त लगाई

सूर्यकांत तिवारी के आग्रह पर अदालत ने उसका बयान रिकॉर्ड करते समय उसके अधिवक्ता वहां मौजूद रहेंगे। हालांकि अधिवक्ता केवल उसे देख पाएंगे, सुन नहीं पाएंगे। समय-समय पर वकील से मिलने की अनुमति भी दी गई है। ऐसी अनुमति इस मामले में पहले गिरफ्तार तीन आरोपियों के मामले में भी दी गई थी।

ED की रडार पर भी नहीं था सूर्यकांत

ED ने पिछले सप्ताह तक की अपनी कार्यवाही में सूर्यकांत तिवारी को कोयला परिवहन में अवैध वसूली गिरोह का सरगना बताया है। लेकिन शनिवार को जब सूर्यकांत ने अदालत में आकर आत्मसमर्पण किया ताे साफ हो गया कि वह ED की राडार पर कहीं था ही नहीं। जांच एजेंसी ने अभी तक सूर्यकांत की तलाश में कोई कार्रवाई नहीं की थी। उसके पते पर कोई नोटिस तक नहीं भेजा गया था। यहां तक कि अधिकारी इस ओर से इतने बेफिक्र थे कि अदालत से सूचना मिलने पर मुख्यालय से लगातार निर्देश लेकर अपना स्टैंड बदलते रहे। पहले कहा, हमने इनको बुलाया ही नहीं है। फिर स्टैंड बदलकर कहा, गिरफ्तार करेंगे। उसके बाद 14 दिन की रिमांड मांगी।

यह पूरा केस सूर्यकांत तिवारी के इर्द-गिर्द

ED जिस एक मामले को लेकर छत्तीसगढ़ में लगातार तलाशी अभियान चला रही है, वह ट्रांसपोर्ट और कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। IAS समीर विश्नोई, कारोबारी सुनील अग्रवाल और सूर्यकांत के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी की रिमांड के लिए अदालत को दिये अपने पहले आवेदन में ED ने सूर्यकांत के खिलाफ बेंगलुरु में दर्ज एक एफआईआर से बात शुरू की थी। वहां से बात आयकर विभाग के छापे, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेज के पत्र और ED के उसमें इन्वॉल्व होने की कहानी थी।

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