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छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हित संरक्षण और उनके उत्थान के लिए हो रहे निरंतर कार्य- मुख्यमंत्री बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश व्यापी भेंट मुलाकात अभियान अंतर्गत कवर्धा प्रवास के दौरान आज शाम शासकीय स्नोतकोत्तर महाविद्यालय के आडिटोरियम में आयोजित आदिवासी समाज सम्मेलन में शामिल हुए। उन्होंने इस मौके पर आदिवासी समाज को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में हमारी सरकार के बनते ही आदिवासियों के हित संरक्षण और उनके उत्थान के लिए लगातार कार्य हो रहे है। उन्होंने स्पष्ट रूप से अवगत कराया कि राज्य में आरक्षण के लाभ से आदिवासी वंचित नहीं होंगे। इसके लिए आदिवासी समाज को किसी भी तरह से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस.सिंहदेव, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री  मोहम्मद अकबर, पंडरिया विधायक श्रीमती ममता चंद्राकर सहित आदिवासी समाज के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
    मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस दौरान आदिवासी समाज की मांग पर विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समाज की संस्कृति के प्रचार-प्रसार तथा उसके संरक्षण और संवर्धन के लिए भोरमदेव में बैगा आदिवासी समाज के संग्रहालय निर्माण की घोषणा की। साथ ही उन्होंने कवर्धा स्थित पोस्ट मैट्रिक छात्रावास को 50 सीटर से बढ़ाकर 100 सीटर में उन्नयन करने और आदिवासी मंगल भवन कवर्धा में अतिरिक्त कमरा के निर्माण की भी घोषणा की। इसके अलावा मुख्यमंत्री श्री बघेल ने विकासखंड बोड़ला के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला रेंगाखार जंगल की छात्रा कु. राधना मेरावी के आईआईटी खडगपुर में चयन होने पर उन्हें उच्च शिक्षा के लिए तीन लाख रूपये प्रदान करने की घोषणा की। 
    मुख्यमंत्री श्री बघेल ने संबोधित करते हुए आगे कहा कि राज्य में आदिवासियों की भलाई के लिए आदिवासी समाज की जरूरतों और अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर अनेक योजनाएं बनाई गई है और इनका पूरी संवेदनशीलता के साथ क्रियान्वयन कर उन्हें आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत राज्य में आदिवासी संस्कृति को नई पहचान और बढ़ावा देने के लिए देवगुड़ी तथा घोटूल का विकास प्राथमिकता से किया जा रहा है। इस तरह देवगुडियों और घोटूलों के संरक्षण और संवर्धन से राज्य में आदिम जीवन मूल्यों को पुर्नजीवित कर सहेजा एवं संवरा जा रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को देश-दुनिया से परिचित कराने के लिए राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य जैसे गौरवशाली महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसमें गत वर्ष देश भर से विभिन्न राज्यों के अलावा अन्य 6 देशों के आदिवासी नर्तक समूहों ने भाग लिया था, इससे छत्तीसगढ़ की आदिम संस्कृति की ख्याति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुकी है।

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