• 20-04-2024 12:31:31
  • Web Hits

Poorab Times

Menu

देश/राजनीति/दिलचस्प खबरें

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट यानी पूजा स्थल कानून

पूरब टाइम्स। वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद की चर्चा देश का सबसे चर्चित मुद्दा बना हुआ है जिसे सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक ले जाया गया। इसी मुद्दे के बीच एक ऐसा भी मुद्दा है जो तेजी से चर्चा में आ गया है और वह मुद्दा है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट यानी पूजा स्थल कानून (Places Of Worship Act, 1991)। सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि वाराणसी कोर्ट का आदेश 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991' का उल्लंघन है। लेकिन क्या है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट और क्या कहते हैं इसके प्रावधान,आइए जानते हैं इस लेख के माध्यम से।

क्या कहता है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991?
1991 में लागू किया गया यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। यदि कोई इस एक्ट का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है। यह कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार 1991 में लेकर आई थी। यह कानून तब आया जब बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा बेहद गर्म था।

जानते है प्लेस ऑफ वर्शिप  की विभिन्न धाराएं 
- 15 अगस्त 1947 में मौजूद किसी धार्मिक स्थल में बदलाव के विषय में यदि कोई याचिका कोर्ट में पेंडिंग है तो उसे बंद कर दिया जाएगा।

-किसी भी धार्मिक स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से किसी दूसरे धर्म में बदलने की अनुमति नहीं है। इसके साथ ही यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि एक धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के रूप में ना बदला जाए या फिर एक ही धर्म के अलग खंड में भी ना बदला जाए।

- 15 अगस्त 1947 को एक पूजा स्थल का चरित्र जैसा था उसे वैसा ही बरकरार रखा जाएगा।
-यह उन मुकदमों और कानूनी कार्यवाहियों को रोकने की बात करता है जो प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के लागू होने की तारीख पर पेंडिंग थे।

प्रावधान है कि यह एक्ट रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले और इससे संबंधित किसी भी मुकदमे, अपील या कार्यवाही पर लागू नहीं करेगा।

कानून के पीछे का मकसद- यह कानून  तब बनाया गया जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम सीमा पर भी पहुंचा था। इस आंदोलन का प्रभाव देश के अन्य मंदिरों और मस्जिदों पर भी पड़ा। उस वक्त अयोध्या के अलावा भी कई विवाद सामने आने लगे। बस फिर क्या था इस पर विराम लगाने के लिए ही उस वक्त की नरसिम्हा राव सरकार ये कानून लेकर आई थी।

पेनल्टी-यह कानून सभी के लिए समान रूप से कार्य करता है। इस एक्ट का उल्लंघन करने वाले को तीन साल की सजा और फाइन का प्रावधान है।

Add Rating and Comment

Enter your full name
We'll never share your number with anyone else.
We'll never share your email with anyone else.
Write your comment
CAPTCHA

Your Comments

Side link

Contact Us


Email:

Phone No.