देश की वर्कफोर्स में उम्रदराज लोग 2021-22 में 57% वर्कफोर्स में 40-59 आयुवर्ग के लोग, कम पढ़े-लिखे लोग बढ़ रहे
मुंबई। देश में कामकाजी लोगों की उम्र बढ़ रही है। मार्च 2020 में जब कोरोना महामारी आई उस वक्त कुल वर्कफोर्स में आधी से अधिक संख्या मध्यम आयु वर्ग की थी। निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक, 2016'7 में 42% वर्कफोर्स में 40-59 आयुवर्ग के लोग थे।
2019-20 में इनकी संख्या बढ़कर 51% और 2021-22 में और बढ़कर 57% हो गई। इसके अलावा 2016'7 में भारत की वर्कफोर्स का 17% हिस्सा 15-24 आयु वर्ग का था। लेकिन 2021-22 तक यह घटकर 13% रह गया। इसकी मुख्य वजह युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियों की कमी या उच्च शिक्षा के कारण लेबर मार्केट में देर से शामिल होना है।
सीएमआईई ने कहा है कि वर्कफोर्स की शैक्षणिक योग्यता में कमी आ रही रही है। ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की हिस्सेदारी 2017'8 में 12.9% थी, जो 2018'9 तक बढ़कर 13.4% हो गई थी। लेकिन 2019-20 में यह घटकर 13.2% और फिर 2020-21 में सिर्फ 11.8% रह गई थी।
हालांकि 2021-22 में यह आंशिक रूप से सुधरकर 12.2% हो गई। सीएमआईई ने कहा है कि एक ओर देश में स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है, वहीं वर्कफोर्स में बेहतर योग्यता वाले लोगों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। उम्रदराज होते कामकाजी लोगों की संख्या बढ़ने से देश को बढ़ती आबादी फायदा नहीं मिल पा रहा है।
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