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अखंड भारत संभव है क्या विषय पर बिलासपुर में परिचर्चा

आरएसएस के समरसता प्रमुख विश्वनाथ बोगी ने कहा भारत को विघटनकारी शक्तियों से बचाने की जरूरत

बिलासपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समरसता प्रमुख विश्वनाथ बोगी ने कहा कि हिंदुस्तान ईरान से बर्मा तक विस्तारित था। स्वार्थ के चलते देश का बंटवारा होता गया। अब भारत के मूल स्वरूप का 60 प्रतिशत भूभाग अलग होकर कई देश बन चुके हैं। अलगाववादी ताकतें अब भी भारत को बांटना चाहते हैं। ऐसी शक्तियों से हमें सावधान रहने की जरूरत है।

अखंड भारत संभव है क्या जैसे विषय पर सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर में परिचर्चा का आयोजन किया गया था। आरएसएस के समरसता प्रमुख बोगी ने देश के गौरवशाली इतिहास शूरवीरों की गाथाएं व उस वक्त घटित घटना का उल्लेख करते हुए और उदाहरण स्वरूप रखते हुए कहा कि वर्ष 1876 में गांधारी की जन्मस्थली अफगानिस्तान अलग हुआ। इसी तरह ईरान, नेपाल, भूटान, तिब्बत, बर्मा, श्रीलंका व पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से देश का विघटन होता रहा। इसे विडंबना ही कहेंगे कि हमसे अलग होते ही पाकिस्तान हमारा ही दुश्मन बन गया है।

जिसे सबक सिखाने के लिए भारत को वर्ष 1965,1971 व 1999 में कारगिल युद्ध के बाद उरी बालकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राइक करनी पड़ी। तिब्बत पर कब्जा करने वाले चीन को गलवन और डोकलाम जैसे सैन्य आपरेशन कर भारत ने मुंह तोड़ जवाब दिया। चीन समझ गया है कि यह 1962 वाला भारत नहीं है। इसमें अपनी खिलाफत करने वाले दुश्मन देश को उसी अंदाज में जवाब देने की ताकत आ चुकी है। इस अवसर पर प्राचार्य राकेश पांडेय ने उनका स्वागत किया।

लगातार विभाजन से देश को हुआ नुकसान

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के समरसता प्रमुख विश्वनाथ बोगी ने भारत के सांस्कृतिक व शैक्षिक इतिहास की चर्चा की। उन्होंने कहा कि अपने समय का विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरी दुनिया के लोग अध्ययन करने के लिए आते थे। विभाजन के बाद विश्वविद्यालय पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। लगातार विभाजन से देश को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। भारत के गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों को इतिहास की बातों को बताने की आवश्यकता है। बच्चों में देश प्रेम की भावना भी हमें जगाना होगा।

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