विपक्ष का होना जरूरी, इससे होता है शक्ति का संचार आचार्य विशुद्ध सागर
रायपुर। विपक्ष को शत्रु नहीं मानना चाहिए, विपक्ष शक्ति प्रदायक है। जहां पक्ष है, वहां प्रतिपक्ष नियम से होगा। पक्ष नहीं होगा तो विपक्ष कैसे होगा और प्रतिपक्ष नहीं होगा तो पक्ष कैसे होगा। कोई कहे मेरा पक्ष ही पक्ष हो, विपक्ष न हो,ऐसा होना भी नहीं चाहिए। विपक्ष का होना अनिवार्य है, नहीं तो उत्साह भंग हो जाएगा। विपक्ष उत्साह और शक्ति देता है। पक्ष कमजोर होने लगे तो विपक्ष को खड़ा कर दो। अपने आप शक्ति का संचार होता है। विपक्ष के आते ही उमंग आती है। विपक्ष आपकी सोई हुई शक्ति को जागृत करता है। यह संदेश सन्मति नगर फाफाडीह दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज दिया।
आचार्य ने कहा कि लोग यह कहते हैं, हम तुम्हारे साथ हैं, इस पर तुम कहो तुम साथ रहो लेकिन बार-बार टोकना मत। अपनी संतान का फल चाहते हो तो उन्हें छेड़ो मत, टोको मत, आगे बढ़ने दो, उन्हें अपने आप महकने दो। बार-बार टोकना शुरू किया तो टेंशन आएगा। स्वयं के अनुसार जो बुद्धि चलती है वह विकास करती है। कार्यक्षेत्र मिलते ही बुद्धि कार्य करने लगती है।
प्रधान ही बलवान
जो प्रधान होता है वह बलवान होता है। जैसे नीम के बगीचे में पांच वृक्ष आम के हैं तो बगीचा नीम का ही कहलाएगा, आम का नहीं। ऐसे में क्या आम के वृक्ष रोने लग जाए, हड़ताल करने लग जाए, प्रजातंत्र है, संख्या देखी जाती है। जब आम खाने की इच्छा होगी तो लोग आम के वृक्ष के पास आएंगे, नीम के पास नहीं जाएंगे। ऐसे ही जहां आम का ही बगीचा है लेकिन कोने-कोने पर नीम के वृक्ष है तो बगीचा आम का ही कहा जाएगा। अपने आपको हीन नहीं मानना चाहिए। कोई संख्या से बलवान है तो कोई गुणों से बलवान है। हर व्यक्ति में अपना-अपना बल होता है।
बुजुर्ग जगाएं युवाओं को
आचार्य ने कहा कि समाज के अंदर वृद्धों में जागृति आ जाए कि युवाओं को आगे बढ़ाएं तो देश और समाज का विकास होगा। युवाओं का भी धर्म है। वृद्धों की सलाह लेना मत छोड़े। पद मिलते ही विनय मिल जाना चाहिए, विनय से हम समाज को संभाल सकें। वृद्धों को ऐसा मत डांटना कि सामने वाले की श्रद्धा चूर-चूर हो जाए। सांप की फुंकार से जितना जहर नहीं चढ़ पाता, इतना व्यक्ति की फुंकार से चढ़ता है, इसलिए सबसे प्रेम करो।
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